जम्मू-कश्मीर: 25 वर्षों से विस्थापन का दर्द झेल रहे 900 परिवार

आतंकवाद के दौर में घर बार छोड़कर जान बचाने वाले प्रदेश के सैकड़ों हिंदू परिवार आज भी विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं। चुनाव के वक्त राजनीतिक मरहम उनके जख्मों पर सुकून का काम करता है लेकिन परिणाम आने के बाद यह जख्म फिर से नासूर बन जाता है।

1996 से 1998 के चरम आतंकवाद के दौर में अपने घर और जमीन छोड़कर प्रदेश के अन्य हिस्सों में बसने वाले विस्थापित परिवार 25 साल बाद भी घर वापसी नहीं कर पाए। मौजूदा समय में यह परिवार जहां रह रहे हैं वहां भी सुविधाएं न होने का दावा करते हैं।

जिला राजोरी और रियासी के कई विस्थापित कहते हैं कि न तो उनके लिए मूलभूत सुविधाएं हैं और न ही सरकार की कोई व्यवस्था। सरकारी तंत्र के अलावा नेताओं के दरवाजे तक चक्कर काटने के बाद भी विस्थापितों की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।

विस्थापितों का कहना है कि इस आम चुनाव में वह बात से नहीं वोट से जवाब देंगे। जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर के अंतर्गत आते जिला रियासी के तलवाड़ा में मौजूदा समय में लगभग 900 विस्थापित परिवार रह रहे हैं।
इनमें 614 परिवार ऐसे हैं जिनकी विस्थापित के रूप में रजिस्ट्रेशन हो चुकी है। बचे हुए परिवार 2007 से रजिस्ट्रेशन पाने के इंतजार में हैं। इसके अलावा जिला राजोरी के 161 और जिला रियासी की तहसील माहोर के मिलाकर कुल 453 विस्थापित परिवार रजिस्टर हैं।

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