BHU को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देगी बीजेपी: केशव प्रसाद मौर्य
पिछले हफ्ते काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में हुए घटना को लेकर गैर-भाजपा दलों में अपनी राजनीति चमकाने के लिए रोटी सेंकने का काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार ऐसा होने नहीं देगी। छेड़खानी को लेकर बीएचयू में हुए घटना की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। बीएचयू प्रशासन अगर सूझबूझ से काम लिया होता तो इसे रोका जा सकता था। भाजपा बीएचयू को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देगी।
यह बात उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार की रात सर्किट हाउस में कही। मौर्य ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय की पवित्र तपोभूमि बीएचयू को कुछ राजनीतिक दल स्वार्थपूर्ति का जरिया बना लिया है। बीएचयू में हुए हिंसक घटना को लेकर जांच रिपोर्ट शासन को मिल चुकी है।
दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उपमुख्यमंत्री ने वाराणसी के विकास कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि पूर्व सरकारों ने योजनाओं की घोषणा का रेकार्ड बनाया। भाजपा घोषणा करने के साथ अपने विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है।
सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि बीएचयू में छात्राओं पर लाठीचार्ज बीएचयू के इतिहास के लिए कलंकित करने वाली घटना है। उन्होेंने कहा कि मैं बीएचयू छात्रसंघ का अध्यक्ष रह चुका हूं। लेकिन छात्राओं पर जिस तरह से बीएचयू प्रशासन के नाक के नीचे लाठीचार्ज किया गया, यह शर्मनाक है। सर्किट हाउस में गुरुवार को उन्होंने कहा कि सब लोग राजनीति की बात कर रहे हैं। राजनीति जोड़ने का है तोड़ने का नहीं। सत्तापक्ष के नेता असल में रोटी सेंक रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के मुखिया (कुलपति) की भूमिका बीएचयू परिवार की मुखिया की तरह है। छात्र उन्हें अपने संरक्षक के रूप में देखते हैं। लेकिन मुखिया मीडिया के सामने जो भी बयान दे रहे हैं, वह गैर-जिम्मेदारना है। सिंह ने कहा कि वे कुलपति से 4 सितंबर को मिले थे और उनसे कहा कि जिस कुर्सी पर आप विराजमान हैं, उस पर आचार्य नरेंद्र देव भी बैठे हैं। आप विश्वविद्यालय में बाहर से आने वालों की जांच क्यों नहीं करा रहे हैं।
वे बीएचयू की घटना को लेकर विश्वविद्यालय व जिला प्रशासन को दोषी मानते हैं। कहा, अगर दिल्ली और काशीविद्यापीठ छात्रसंघ का चुनाव हो सकता है तो बीएचयू छात्रसंघ का चुनाव क्यों नहीं कराया जा सकता। छात्रसंघ अगर होता तो बीएचयू में ऐसी घटना न होती।