लॉकडाउन के बाद भी महाराष्ट्र के सत्संग स्थल पर अब तक मौजूद थे 1300 लोग

न्‍यूज डेस्‍क

देश में कोरोना वायरस का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार तक जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 507 है। वहीं 2230 लोग ठीक हो कर घर वापस लौट चुके है। मरीजों का आंकड़ा 15712 तक पहुंच गया है।

सबसे ज्यादा कोरोना वायरस से महाराष्ट्र राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां कोरोना मरीजों का आंकड़ा 3600 के पार पहुंच चुका है। इसमें 365 लोग ठीक हो चुके है जबकि महाराष्ट्र में मरने वालों का आंकड़ा भी 211 पहुंच चुका है।

महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा कोरोना से संक्रमित मरीज दिल्ली में हैं। दिल्ली में अब तक 1700 से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण के शिकार हुए हैं। यहां के लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के दो डॉक्टर्स और चार नर्स सहित छह स्टाफ कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। सरकार की माने तो संक्रमित पाए गए लोगों में दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित मरकज में शामिल हुए तब्लीगी जमात के लोगों की संख्‍या ज्‍यादा है।

अब महाराष्‍ट्र के लातूर में दिल्‍ली के मरकज जैसा मामला सामने आया है। यहां राठोडा गांव में सत्संग कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए 1300 लोग फंसे हुए है। जिन्‍हें निजी बस से उनके गांव जाधववाडी भेजा जा रहा है। जाधववाडी पुणे जिले में आता है।

जिन लोगों को निजी बसों से भेजा जा रहा है वे सभी सभी लोग राठोडा गांव में महानुभव पंथ के सत्संग कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। बता दें, फरवरी महीने से यहां सत्संग चल रहा था। सत्संग के चलते लॉकडाउन की घोषणा की गई तो ये लोग यहीं फंस गए। चार-पांच दिन पहले यहां जोरों से बारिश हुई और बरसात में सत्संग का मंडप उखड़ गया। खाना बनाने का सामान भी खराब हो गया। इसकी वजह से इन महानुभवी साधकों को सिर छुपाने के लिए मंदिर और स्कूलों का सहारा लेना पड़ा।

इनकी स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने निजी बसों से इन सभी लोगों को इनके गांव जाधववाडी आश्रम लौटने की अनुमति दे दी है। इन लोगों को भेजने के लिए 44 सीट वाली एक बस में 22 यात्रियों को बैठाकर पुणे की जाधववाडी भेजा जा रहा है। फिलहाल 32 बसें उपलब्ध हुई हैं। इन बसों से सभी साधकों को वापस भेजने के लिए तीन दिन लगेंगे। इन सभी साधकों पर प्रशासन ध्यान दिए हुए है। इन सभी साधकों के टेस्ट करने के बाद ही उन्हें आगे जाने की अनुमति दी जा रही है।

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