अब विधायक निधि से पार्को में होने वाले कार्यो के लिए अब पार्षद की अनुमति जरूरी नहीं

नगर निगम और दिल्ली सरकार के बीच फंड खर्च करने को लेकर हो रहे विवाद पर दिल्ली विधानसभा ने साफ किया है कि विधायक निधि से पार्को में होने वाले कार्यो के लिए निगम पार्षद से अनुमति की जरूरत नहीं है। इस बारे में रखे गए प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि जिस तरह से सांसद फंड पार्को में खर्च किया जाता है उसी तरह विधायक फंड भी पार्को में खर्च किए जाने का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि यदि तीनों नगर निगम इस प्रक्रिया को नहीं अपनाते हैं तो तीनों निगम आयुक्तों के खिलाफ विधानसभा सदन की अवमानना मानते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी। जैन ने कहा कि नगर निगम के लोग जान बूझकर दिल्ली सरकार के कार्यो को उलझाते हैं कि जिससे विधायकों के कार्य न हो सकें।

इस मुद्दे से जुड़ा सवाल दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़ला ने उठाया था। जिस पर शहरी विकास विभाग की प्रधान सचिव व तीनों निगम आयुक्तों को सदन में तलब किया गया था। बिड़ला ने बताया कि उत्तरी निगम ने 23 सितंबर को एक प्रस्ताव पास कर दिया है जिसके तहत अब विधायक निधि या मुख्यमंत्री सड़क पुनर्निर्माण योजना आदि के तहत निगम के पार्क या उनकी सड़क पर तभी काम हो पाएगा जब इलाके के निगम पार्षद अनुमति देंगे। इससे उनके इलाके के करोड़ों के काम रुक गए हैं। पार्षद अनुमति नहीं दे रहे हैं।

विधायक अखिलेशपति त्रिपाठी ने बताया कि इस नियम के कारण परेशानी बढ़ गई है। जनता कह रही है कि निगम के पार्को में काम करा दो, सड़क बनवा दो, हम योजना भी बना चुके हैं। मगर काम रुके हुए हैं। इस नियम को हटाया जाना चाहिए।

वही विधायक सोमनाथ भारती ने कहा कि दक्षिणी और पूर्वी निगम में निगमों की ओर से यह व्यवस्था की गई है कि 5 करोड़ से अधिक के कार्यो के लिए प्रस्ताव को स्थायी समिति में ले जाया जा रहा है। इसके माध्यम से काम रोके जा रहे हैं। क्योंकि वहां पर भाजपा के लोग हैं। इसके साथ ही उन्होंने मुद्दा उठाया कि उनके इलाके में 15 मीटर से ऊंची इमारतें बन गई हैं।

मगर अब उनमें बिजली व पानी के कनेक्शन नहीं दिए जा रहे हैं। जिन लोगों ने ऊपरी मंजिलों पर फ्लैट ले लिए अब वे लोग परेशान हो रहे हैं। विधायक सौरभ भारद्वाज ने विधायक निधि व मुख्यमंत्री सड़क पुनर्निर्माण की योजना के फंड खर्च में निगमों की किसी तरह की दखलंदाजी रोके जाने की मांग की। इस प्रस्ताव को सत्ता पक्ष ने पास कर दिया। भारद्वाज ने कहा इसके बाद भी यदि निगम आयुक्त नहीं मानते हैं तो 31 दिसंबर को फिर से सदन बुलाया जाएगा।

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