बॉस हो तो ऐसा…कर्ज में डूब गई थी कंपनी, फ‍िर कर्मचार‍ियों को दिया ऐसा ऑफर!

कर्मचारी क‍िसी भी कंपनी की जान होते हैं. अगर वे मन लगाकर काम करें और अच्‍छी नीत‍ियां हों, तो बर्बाद हो चुकी कंपनी को भी उबारा जा सकता है. जैसा इस कंपनी के साथ हुआ. कंपनी पूरी तरह कर्ज में डूब गई थी. ताला लगाने की नौबत आ गई थी. परेशान होकर बॉस ने आधे कर्मचार‍ियों को निकाल दिया, ताकि क‍िसी तरह कंपनी को बचाया जा सके. फ‍िर बचे कर्मचार‍ियों को ऐसा ऑफर दिया क‍ि क‍िस्‍मत ही बदल गई. जो कंपनी करोड़ों के कर्ज में डूब गई थी, अचानक मुनाफा कमाने लगी.

न्‍यूयॉर्क पोस्‍ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड की रहने वाली 34 साल की मैडी बर्डकेज एक मार्केटिंग एजेंसी चला रही थीं. लेकिन गलत नीत‍ियों की वजह से एक दिन कंपनी पर करोड़ों का कर्ज आ गया. मैडी ने कहा, लगा क‍ि सबकुछ डूब गया. मजबूरन हमें आधे कर्मचार‍ियों को निकालना पड़ा. फ‍िर एक दिन मैंने शून्‍य से शुरुआत करने का फैसला क‍िया. सारी नीतियां बदल डालीं और कर्मचार‍ियों को ऐसा ऑफर दिया क‍ि हमारी क‍िस्‍मत ही बदल गई. इतना मुनाफा हुआ क‍ि कई पुराने कर्मचार‍ियों को फ‍िर से रख ल‍िया.

ऑफर भी जान लीजिए
मैडी बर्डकेज ने कहा, मैने कर्मचार‍ियों से कहा-ऑफ‍िस आने का अपना श‍िड्यूल खुद तय करें. काम कैसे करना है, ये वे खुद प्‍लान करें. जो चाहें पहनें, जैसे चाहें रहें. स्कूल की छुट्टियां हों, तो अपने बच्चों को ऑफ‍िस लेकर आएं. जब जरूरत लगे तो वर्क फ्रॉम होम करें. हफ्ते में सिर्फ 3 दिन काम करें. बाकी द‍िन ऑफ‍िस का कोई काम नहीं. ऑफिस में बच्चों के लिए एक टीवी रूम भी है. प्‍लेइंग एर‍िया भी है. इतना ही नहीं, मैंने उन्‍हें हर महीने टूर पर ले जाने का फैसला किया. वे क्रूज पर पार्टियां करते हैं. इससे वे काफी खुश हैं. द‍िल लगाकर काम करते हैं. नतीजा कंपनी की सूरत बदल गई. आज हमारी कंपनी हर महीने 50 लाख रुपये मुनाफा कमा रही है. मैं अभी इतनी खुश हूं, ज‍ितना पहले कभी नहीं थी.

खुश ही नहीं थे कर्मचारी
बर्डकेज ने कहा, हमारी कंपनी में जो कुछ हुआ, उसके पीछे माइक्रोमैनेजमेंट जिम्‍मेदार था. उसने पूरी कंपनी को तबाह कर दिया था. पहले कंपनी में इतना विषाक्‍त माहौल था क‍ि कर्मचारी खुश ही नहीं थे. मैनेजमेंट ने बुरा हाल कर रखा था.उनके फैसलों के कारण कर्ज बढ़ गया. फ‍िर जब मैंने अपने दिल की बात सुनी. एक-एक इम्‍प्‍लाई से उनकी राय ली. जो बातें निकलकर सामने आईं, वो हैरान करने वाली थी. इसके बाद मैंने सबकुछ बदलने का फैसला क‍िया, नतीजा तस्‍वीर बदल गई. मुझे ऐसे लोगों को काम पर रखना पड़ा जो आजाद राय रखती हो. मैंने इम्‍प्‍लाइज से कहा-मैं आपके बॉस के रूप में नहीं, आपका हाथ पकड़ने के लिए यहां नहीं हूं. आपकी समस्‍याएं हल करने के ल‍िए हूं. मैं चाहती हूं कि हर कोई काम पर आने का आनंद उठाए. यही जीत का फार्मूला है.

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