अब एटीएम की संख्या होगी कम , ट्रांजेक्शन में होगा इजाफा
देश भर में एटीएम की संख्या लगातार घट रही है। कम मुनाफे के चलते बैंक और निजी कंपनियां एटीएम को बंद कर रहे हैं। हालांकि इनमें होने वाले ट्रांजेक्शन की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
हाल में जारी आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 2011 के बाद से पिछले दो वित्तीय वर्ष में ही एटीएम की संख्या घटी है, इससे पहले लगातार नए एटीएम लगाए जा रहे थे।
दो साल में बंद हुए 800 एटीएम
आरबीआई के अनुसार, 2011 में जहां देश में कुल एटीएम की संख्या 75 हजार 600 थी, वहीं 2017 में यह बढ़कर 2 लाख 22 हजार 500 हो गई। हालांकि, इसके बाद पिछले दो वित्तीय वर्ष से एटीएम की संख्या लगातार घट रही है और 2019 मार्च तक देश में कुल 2 लाख 21 हजार 700 एटीएम थे।
इस तरह दो वित्तीय वर्ष में ही 800 एटीएम बंद हो गए। दूसरी ओर, 2017 में जहां देश में एटीएम का कुल इस्तेमाल 71.06 करोड़ बार हुआ था, वहीं 2019 ये संख्या बढ़कर 89.23 करोड़ पहुंच गई। यानी दो वित्त वर्ष में ही एटीएम से 18.17 करोड़ बार ज्यादा ट्रांजेक्शन हुआ।
सख्त नियमों ने बढ़ाई मुसीबत
फेडरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्री के महानिदेशक ललित सिन्हा का कहना है कि आरबीआई और गृह मंत्रालय की ओर से एटीएम के रखरखाव और ट्रांजेक्शन नियमों को सख्त बनाने से इसका खर्च बढ़ गया है।
अब एटीएम के रखरखाव की लागत में पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी तक इजाफा हो गया है, जिससे यह मुनाफे का कारोबार नहीं रहा। इसके अलावा एटीएम संचालक को प्रति ट्रांजेक्शन 7 से 12 रुपये का भुगतान किया जाता है। इस शुल्क में पिछले कई वर्षों से बढ़ोतरी नहीं हुई जिससे निजी संचालक इस कारोबार से मुंह मोड़ने लगे हैं।
डिजिटल भुगतान व शाखाओं में कमी भी वजह
एटीएम की घटती संख्या के पीछे बैंकों की शाखाओं में कमी और डिजिटल भुगतान को मिल रहा बढ़ावा भी बड़े कारण हैं। 2018 में एसबीआई ने छह बैंकों का विलय करने के साथ 1000 शाखाएं बंद कर दी।
वहीं, पिछले पांच साल में डिजिटल भुगतान 65 गुना ज्यादा बढ़ गया है। पिछले एक साल में ही बड़ा उछाल दिखा। 2018 मार्च तक जहां कुल 187 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन था, जो 2019 मार्च तक बढ़कर 619.48 करोड़ हो गया।