चीन से बाहर जाने वाली कंपनियों पर भारत की नजर

चीन से जुड़े जोखिमों को कम करने की वैश्विक रणनीति से लाभ उठाने के लिए भारत के पास दो-तीन साल का समय है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को कहा कि सरकार को ऐसी नीतियां तैयार करते समय बहुत सतर्क रहने की जरूरत है, जो भारत में कंपनियों के स्थानांतरण को आकर्षक और आसान बनाती हैं।

एक कार्यक्रम में सुब्रमण्यम ने कहा कि भू-राजनीतिक स्थिति और देश में कामकाजी उम्र की युवा आबादी के कारण भारत एक अच्छी स्थिति में है। इसलिए मुझे लगता है कि अगले 15 से 20 वर्षों में भारत के पास विनिर्माण क्षेत्र में अवसर है। लेकिन, इसकी शुरुआत के लिए अधिकतम दो-तीन साल का वक्त है, क्योंकि आपूर्ति शृंखलाएं खुल रही हैं और वे छोटी होती जा रही हैं। अब उन्हें नए स्थान की तलाश है। 

सुब्रमण्यम ने कहा, गैर-चीनी कंपनियां ही नहीं, बल्कि चीन की कंपनियां भी श्रम की कमी के कारण बाहर जाना चाहती हैं। चीन में मांग की कमी है। इसकी वजह श्रम आपूर्ति की कमी, श्रम की बढ़ती लागत और दबाव में फंसा पूंजी बाजार हैं।

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