बसपा सुप्रीमो मायावती की बसपाइयों को दी सख्त हिदायत, कहा- पहले लिखें, फिर बोलें

जयप्रकाश सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर पद से हटाने के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने पार्टी नेताओं को आगाह किया कि दूसरों के संत, महात्माओं और गुरुओं के बारे में अभद्र, अनर्गल और अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल न करें।

दूसरी पार्टियों की सिर्फ धार्मिक, अल्पसंख्यक, गरीब, मजदूर, किसान व व्यापारी विरोधी नीति पर ही हमला बोलें। उनके किसी छोटे-बड़े नेता पर कतई टीका-टिप्पणी व अभद्र भाषा का प्रयोग न करें। मीडिया से बात करने से पहले पूरी बातें लिख लें। जितना लिखा है उतना ही बोलें ताकि किसी को बसपा के खिलाफ दुष्प्रचार का मौका न मिले।

जयप्रकाश की बातों से झाड़ा पल्ला
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जयप्रकाश की तरफ से कही गईं बातें उनकी व्यक्तिगत सोच की उपज है। बसपा का उनकी बातों से कोई मतलब नहीं है। उनकी टिप्पणियों को गंभीरता से लेते हुए जयप्रकाश सिंह को उनके पद से और राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया गया है।

उन्होंने चेतावनी दी कि मीटिंग, बैठक और जनसभा कुछ भी हो उसमें सिर्फ दलित तथा पिछड़े वर्ग में जन्मे संतों, गुरुओं और महापुरुषों एवं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बारे में भी केवल उनके जीवन संघर्ष एवं सिद्धांतों व सोच के संबंध में ही बातें रखें।

गठबंधन का मामला पार्टी हाईकमान पर छोड़ें

मायावती ने पार्टी नेताओं को गठबंधन पर भी मुंह बंद रखने की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि जब तक चुनावी गठबंधन की घोषणा नहीं होती तब तक पार्टी के किसी भी व्यक्ति को कहीं भी किसी स्तर पर कुछ भी बात नहीं करनी है। पार्टी के लोगों को यह मामला हाईकमान पर छोड़ देना चाहिए।
माया ने भाई को हटाकर जयप्रकाश को बनाया था उपाध्यक्ष
जयप्रकाश सिंह को बसपा सुप्रीमो मायावती ने करीब दो माह पहले अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटाकर यह जिम्मेदारी सौंपी थी। साथ ही पार्टी संविधान में बदलाव कर उन्हें और राज्यसभा सदस्य वीर सिंह को राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बनाकर महत्व दिया था।जयप्रकाश के नाम ने सभी को चौंका दिया था क्योंकि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने से पहले उन्होंने बसपा में निचले स्तर पर कभी कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई थी।

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