EV के लिए बढ़ेगी बैटरी की मांग!

नई दिल्लीः सत्तर प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी के साथ टाटा मोटर्स इलेक्ट्रिक यात्री वाहन बाजार में अग्रणी है। इससे वह बैटरी की सबसे बड़ी उपभोक्ता बन गई है। हालांकि मारुति सुजूकी इंडिया उसके साथ होड़ में है। अनुमान है कि साल 2035 तक वह बैटरी सेल के मामले में टाटा की मांग बराबरी कर लेगी और इस साल बाद में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की शुरुआत से उसे बढ़ावा मिलेगा।

हल्के वाहनों के लिए भारतीय ईवी बैटरी बाजार के संबंध में एसऐंडपी मोबिलिटी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि हालांकि वर्तमान में ईवी बाजार में मारुति की हिस्सेदारी कम है लेकिन बैटरी सेल की इसकी मांग साल 2035 तक 20 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है, जो टाटा की 22 प्रतिशत हिस्सेदारी से कुछ ही कम होगी।

उम्मीद है कि तीसरी प्रमुख कंपनी ह्युंडै ईवी क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति करेगी, विशेष रूप से हल्के वाहनों में, जिसमें यात्री वाहन और टाटा ऐस जैसे 6 टन से कम वाले वाणिज्यिक वाहन शामिल हैं। हल्के वाहनों के लिए आयातित सेल पर भारत की निर्भरता जारी रहने के आसार हैं। एसऐंडपी ग्लोबल के अनुसार साल 2030 तक हल्के वाहनों को चलाने के लिए आवश्यक कुल बैटरी सेल का केवल 13 प्रतिशत ही घरेलू स्तर पर उत्पादित हो सकेगा। शेष हिस्से के लिए बाहर से आपूर्ति होगी।

एसऐंडपी का यह भी अनुमान है कि साल 2030 तक 23 प्रतिशत बैटरी मॉड्यूल भारत में निर्मित किए जाएंगे, जो मौजूदा नगण्य मात्रा की तुलना में अधिक है। हालांकि बैटरी पैक के मामले में, जिनमें से 50 प्रतिशत का उत्पादन पहले ही भारत में होता है, साल 2030 तक यह आंकड़ा कुछ कम होकर 48 प्रतिशत रह सकता है।

एसऐंडपी ने आगाह किया है कि स्थानीयकरण पर जोर देने से ज्यादा विनिर्माता बाहर से आपूर्ति करने के बजाय भारत में ही बैटरी पैक का उत्पादन कर सकते हैं। रिपोर्ट में हल्के वाहनों के लिए भारत की वैश्विक खरीद में बदलाव के बारे में भी बताया गया है। वर्तमान में इस बाजार पर चीन के सेल विनिर्माताओं का वर्चस्व है।

उम्मीद है कि जापान और दक्षिण कोरिया के सेल विनिर्माता साल 2027 तक इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा लेंगे। खास तौर पर इसलिए कि मारुति और ह्युंडै अपने ई वाहनों को उतारने के लिए अपने देशों से सेल लेने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

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