एमपी पुलिस से मुठभेड़ में नहीं, गैंगवार में हुई थी बबुली और लवलेश की मौत…

एक लाख रुपये के इनामी डकैत संजय कोल ने अपने साथी सोहन कोल की बातों पर मंगलवार को मुहर लगाकर मध्यप्रदेश पुलिस के मुठभेड़ के दावे की हवा निकाल दी। कहा कि डकैत गिरोह सरगना बबुली कोल और उसके दायें हाथ लवलेश पर सोते समय अमेरिकन थर्टी स्प्रिंग रायफल व दूसरे असलहों से ताबड़तोड़ गोलियां सोहन के साथ मिलकर बरसाई थीं। बबुली और लवलेश की मौत एमपी पुलिस से मुठभेड़ में नहीं हुई थी।

घर में छिपा रहा संजय

डकैत संजय ने बताया कि सोहन और छोटा भइया के साथ मिलकर बबुली व लवलेश को मारने के बाद तीनों हथियार लेकर भाग निकले थे। असलहे सोहन को देकर परिवारीजन के पास गया था। सोहन के पकड़े जाने के बाद दबाव बढ़ा तो वह जंगल से भागने वाला था पर पकड़ा गया। उसने बताया कि गैंग के सदस्यों के घर जाने की कोशिश पर रोकने को लेकर सरगना के प्रति नाराजगी बढ़ गई थी। गैंग में तनातनी बढऩे पर बबुली नए सदस्यों की भर्ती करने की भी तैयारी में था, इसलिए उन्हें बेवजह प्रताडि़त करता था। फिरौती वसूली की रकम में भी कम रुपये देता था, जिसकी वजह से गैंग में विद्रोह बढ़ गया था।

चहेती रायफल बनी मौत का कारण

संजय ने बताया कि बबुली अमेरिकन थर्टी स्प्रिंग रायफल को बहुत प्रेम से रखता था। उसी के साथ अक्सर फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने का उसे शौक था। वही रायफल उसकी मौत का कारण बन गई। ददुआ गैंग से चले असलहे ठोकिया, बलखडिय़ा, रागिया के पास से बबुली कोल के पास पहुंचे थे। बलखडिय़ा संग चलने में भी वह अक्सर वही रायफल लेता था।

कमर में पट्टे पुलिस ने बांधे

संजय कोल ने एक और बड़ा दावा कर कहा कि बबुली व लवलेश गोलियों के पट्टे कभी कमर में नहीं बांधते थे। गैंगवार में दोनों के मरने के बाद पुलिस ने खुद ये पट्टे बांधे थे ताकि मुठभेड़ दिखा सके। चित्रकूट एसपी मनोज कुमार झा ने बताया कि पाठा डकैतों से मुक्त है। डी-13 गैंग गौरी यादव दो साल से निष्क्रिय है। उसके साथ बबुली गैंग का बचा सदस्य छोटा भइया टारगेट में हैं। पाठा में नई ताजपोशी नहीं होने देंगे। क्षेत्र में शिक्षा, रोजगार व पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।

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