राजोरी-पुंछ के जंगलों में आतंकी कर रहे VPN का इस्तेमाल

राजोरी-पुंछ के जंगलों में सक्रिय आतंकी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो इनकी लोकेशन का पता लगाने में सबसे बड़ा अड़ंगा है। खुफिया एजेंसियों के पास ये इनपुट हैं कि आतंकी ऐसे एप का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो बिना इंटरनेट चलते हैं। हालांकि, इसके पहले भी आतंकी कई बार इस तरह के एप का इस्तेमाल कर चुके हैं। इन एप के जरिए सीमा पार से आतंकी संगठन आतंकियों की मदद कर रहे हैं। एप के जरिए न सिर्फ टारगेट देते हैं, बल्कि हमला करने के बाद एक सुरक्षित रूट का रास्ता भी दिखाते हैं, जो उन्हें सुरक्षित कर देता है।

बता दें कि जम्मू के नगरोटा, कठुआ में भी आतंकियों के पकड़े जाने पर इनके मोबाइल में वीपीएन एप मिले थे। हाल ही में पुलिस ने राजोरी में तीन युवकों पर वीपीएन एप का इस्तेमाल करने पर एफआईआर लगाई है। पुलिस को भी शक है कि जंगलों में सक्रिय आतंकी ऐसे एप का इस्तेमाल कर रहे हैं।

एनआईए के लिए भी सिरदर्दी
बता दें कि राजोरी-पुंछ में पिछले दो वर्ष के दौरान कई बड़े आतंकी हमले हुए हैं। हमलों की जांच एनआईए कर रही है, लेकिन आतंकियों के संचार नेटवर्क का तोड़ एनआईए भी नहीं निकाल पा रही। अधिकतम मामलों में एनआईए को जांच के लिए तकनीकी सबूत नहीं मिले। एनआईए की जांच में भी यह बात सामने आई कि आतंकी ऐसे एप का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं होता। इनके न पकड़े जाने की वजह भी यही हैं।

आतंकियों का मजबूत नेटवर्क बना चुनौती
राजोरी-पुंछ में सक्रिय आतंकी अपने साथ मजबूत नेटवर्क लेकर चल रहे हैं, जिनके साथ गाइड भी हैं, लेकिन एक गाइड को दूसरे गाइड की जानकारी तक नहीं होती। आतंकी इतने शातिर हैं कि पिछले दो वर्ष में इतने बड़े हमलों को अंजाम देने के बाद भी हत्थे नहीं चढ़ रहे।

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