पंजाब में भाजपा ने उम्मीदवारों की घोषणा 

भारतीय जनता पार्टी ने लंबे विचार-विमर्श के बाद बुधवार को आखिर अपने उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी। इस सूची में पार्टी ने तीन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की गई है। श्री आनंदपुर साहिब से सुभाष शर्मा, फिरोजपुर से पूर्व मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी और संगरूर से पूर्व विधायक अरविंद खन्ना को चुनाव मैदान में उतारा गया है।

सोढ़ी और खन्ना दोनों कांग्रेस से ही आए हैं। तीसरी सूची जारी करने के साथ ही पार्टी के 12 उम्मीदवार तय हो गए हैं। पहली सूची में छह और दूसरी सूची में तीन प्रत्याशियों के नाम का एलान किया गया था। फतेहगढ़ साहिब पर अभी पेच फंसा हुआ है, जिसके चलते इस सीट से फिलहाल प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई है।

श्री आनंदपुर साहिब से पार्टी प्रत्याशी सुभाष शर्मा पंजाब भाजपा के उपाध्यक्ष हैं। वह पिछले काफी समय से पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं। शर्मा का यहां आप प्रत्याशी मलविंदर सिंह कंग, शिअद प्रत्याशी प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा और कांग्रेस के विजय सिंगला से मुकाबला होगा। इसी तरह फिरोजपुर से पार्टी प्रत्याशी राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी पूर्व अंतराष्ट्रीय शूटर हैं। यहां उनका मुकाबाला शिअद प्रत्याशी नरदेव सिंह बॉबी मान, आप प्रत्याशी जगदीप काका बराड़ और कांग्रेस के शेर सिंह घुबाया से होगा।

सोढ़ी कांग्रेस में रहते हुए 21 अप्रैल 2018 से लेकर 18 सिंतबर 2021 तक खेल और युवा मामलों के मंत्री भी रह चुके हैं। वह 2002, 2007, 2012 और 2017 में लगातार विधायक चुने गए थे। इससे पहले वह कांग्रेस विधायक दल के चीफ व्हिप का जिम्मा भी संभाल चुके हैं। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और वह दिसंबर 2021 में भाजपा में शामिल हो गए थे।

इसी तरह संगरूर से पार्टी ने पूर्व विधायक अरविंद खन्ना को अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां खन्ना का मुकाबला आप प्रत्याशी गुरमीत सिंह मीत हेयर, कांग्रेस प्रत्याशी सुखपाल सिंह खैरा, शिअद के इंकबाल सिंह झूंडा और शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के सिमरनजीत सिंह मान से होगा। खन्ना दिसंबर 2022 से भाजपा पंजाब के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं और भाजपा पंजाब की कोर कमेटी और वित्त समिति के सदस्य भी हैं। वह 2002 से 2007 तक संगरूर और 2012 से 2014 तक धूरी से विधायक रहे।

1998 से 2015 तक खन्ना कांग्रेस के साथ जुड़े हुए थे। वह पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के महासचिव और कोषाध्यक्ष के पद पर भी तैनात रहे। साथ ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे।

आनंदपुर साहिब : सुभाष शर्मा
उम्र : 46
शिक्षा : पीएचडी

फिरोजपुर : राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी
उम्र : 70
शिक्षा : 10वीं

संगरूर: अरविंद खन्ना
उम्र : 56
शिक्षा : ग्रेजुएट

पंजाब में मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। प्रत्याशियों ने नामांकन भी शुरू कर दिया है। यहां इस बार भाजपा और शिरोमणी अकाली दल अलग-अलग चुनाव मैदान में हैं। वहीं इंडिया गठबंधन की पार्टियां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस भी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।

भाजपा ने संगरूर से अरविंद खन्ना को उतारा
इंतजार की घड़ियों के विराम देते आखिरकार भाजपा ने दो बार के विधायक 57 वर्षीय अरविंद खन्ना को संगरूर संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया है । अरविंद खन्ना 2004 में कांग्रेस की टिकट पर संगरूर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा से चुनाव हार गए थे । अरविंद खन्ना अपनी समाज सेवी संस्था उम्मीद फांऊडेशन के जरिए निःशुल्क मेडिकल सुविधाएं देने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। खन्ना भारतीय जनता पार्टी में जनवरी 2022 में शामिल हुए थे और इस वक्त वे प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। खन्ना, भाजपा पंजाब की कोर समिति और वित्त समिति के सदस्य हैं। इससे पहले खन्ना ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के महासचिव, पीपीसीसी कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था।

बता दें कि संगरूर से आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, अकाली दल अमृतसर, शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी ने सिख चेहरों पर दांव खेला है । ऐसे में भाजपा हिंदू चेहरे के माध्यम से शहरी वोट बैंक को साधने के लिए अरविंद खन्ना पर दांव खेला है। सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा की नजर जातीय समीकरण के साथ वोट विभाजन के गणित पर भी है । भाजपा मान कर चल रही है कि यदि ग्रामीण क्षेत्रों में वोट क विभाजन हुआ तो शहरी वोट बैंक के मिल सकता है। संगरूर संसदीय सीट पर करीब 33 फीसदी शहरी आबादी है और इस सीट दलित वर्ग की 32 फीसदी आबादी है। हालांकि यहां पर बसपा ने अपना प्रत्याशी उतार दिया है ।

अरविंद खन्ना इसी संसदीय सीट का हिस्सा संगरूर व धूरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं और कांग्रेस की टिकट पर 2004 लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं । हालांकि वे 27277 मतों के अंतर से अकाली दल के नेता सुखदेव सिंह ढींडसा से चुनाव हार गए थे। अरविंद खन्ना तब 259551 वोट लेने में सफल रहे थे।

इस सीट से सिख चेहरे ही संसद भवन पहुंचते रहे हैं । लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विजयइंदर सिंगला ने सिख बाहुल्य क्षेत्र में जीत दर्ज करके हिंदू चेहरे के लिए जीत का दरवाजा खोला था।

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