एक मार्च से आमरण अनशन पर अरविंद केजरीवाल, सफल नही हुआ तो…
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तारीखों की घोषणा मार्च के पहले हफ्ते में होने की संभावना जताई जा रही है। इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर एक मार्च से आमरण अनशन करने की घोषणा कर दी है। केजरीवाल के इस ऐलान के साथ ही इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि क्या अरविंद केजरीवाल का यह अनशन सफल रहेगा? क्या केंद्र सरकार उनकी मांग मानने की स्थिति में है? अगर नहीं तो इस आंदोलन के जरिए केजरीवाल क्या हासिल करना चाहते हैं?
दिल्ली में विधानसभा की राजौरी गार्डेन सीट पर उपचुनाव हुए थे। इसमें आम आदमी ने अपनी सीट भाजपा के मनजिंदर सिंह सिरसा के हाथों गंवा दी। नगर निगम चुनावों में पार्टी ने ठीक-ठाक सीटें अवश्य जीत लीं, लेकिन वह किसी भी निगम की सत्ता अपने हाथों में लेने में असफल रही।
चूंकि नगर निगम चुनाव में बेहद स्थानीय स्तर पर लोकल मुद्दों पर चुनाव होते हैं, इस चुनाव में पार्टी के भाजपा से पिछड़ने का नकारात्मक असर पड़ा। इसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी की दिल्ली में ढीली पड़ती पकड़ के रुप में देखा गया। ऐसे हालात में अगर पार्टी लोकसभा चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाती है तो इससे आम आदमी पार्टी और सबसे बढ़कर अरविंद केजरीवाल के सामने संक़ट खड़ा हो जाएगा।
आंदोलन की आग से निकले अरविंद केजरीवाल जमीनी स्थिति को अच्छी तरह जानते हैं। उन्हें मालूम है कि लोकसभा चुनाव में जीत उनके राजनैतिक अस्तित्व के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है। यही कारण है कि उन्होंने आंदोलन को एक बार फिर पार्टी को खड़ा करने का माध्यम बनाया है। लेकिन चुनाव से पहले अनशन का सफल होना बेहद जरुरी है, अन्यथा इसका नकारात्मक असर हो सकता है। यही कारण है कि अनशन को सफल बनाने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है।
दिल्ली की सभी सत्तर विधानसभा क्षेत्रों से हर विधायक को कम से कम एक हजार आदमी अनशन चलने तक लगातार जुटाये रखने की बात कही गई है। इसके लिए शनिवार रात मुख्यमंत्री निवास पर पार्टी के आला अधिकारियों की बैठक भी हुई है। योजना के मुताबिक पूरी दिल्ली को कई ज़ोन में विभाजित किया गया है। हर लोकसभा क्षेत्र, विधानसभा क्षेत्र, ब्लॉक में एक-एक कमेटी का गठन होगा जो एक निश्चित समय पर पूरी दिल्ली में पूर्ण राज्य न्याय यात्रा शुरू करेंगी।
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