UP: झाड़ू चलते ही सड़क पर इकट्ठा हो जा रहा डामर, कार्यदायी संस्था का रोका भुगतान

जालौन जिले के कुठौंद कस्बे में पिछले साल के आखिरी सप्ताह में तैयार हुई दो किलोमीटर सड़क नए साल का पहला सप्ताह भी पार नहीं कर सकी। सड़क की स्थिति यह है कि झाड़ू चलते ही पूरी बजरी और डामर किसी कूड़े और धूल की तरह सिमट जा रही है। गुणवत्ता की पोल खोलती इस सड़क की जानकारी जब विभाग के बड़े अधिकारियों तक पहुंची तो खलबली मच गई। अब इस सड़क निर्माण को लेकर जांच बैठाई जा रही है और कार्यदायी संस्था के भुगतान पर रोक लगा दी गई है।

कुठौंद क्षेत्र की लिंक रंधीरपुर मार्ग से रूरा, रंधीरपुर, धर्मपुरा, विजवाहा आदि गांव के करीब एक हजार के करीब लोग प्रतिदिन गुजरते हैं। इस लिंक रोड का निर्माण कार्य पिछले साल दिसंबर में हुआ था। नहर विभाग की ओर से यह कार्य कराया गया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार करीब 20 लाख रुपये में नहर कोटी से काम शुरू हुआ ओर तीन मीटर चौड़ी इस सड़क को दो किलोमीटर तक पूरा कर लिया गया।

चार दिन बाद ही सड़क की बजरी डामर से उखड़नी शुरू हो गई
रोलर चलाकर डामरीकरण किया गया था। उस महीने के ही आखिरी सप्ताह में काम पूरा कर लिया गया। उसके बाद सड़क पर आवागमन शुरू हो गया। मात्र चार दिन ही बीते थे कि सड़क की बजरी डामर से उखड़नी शुरू हो गई। स्थिति यह है कि झाड़ू चलाने पर बजरी डामर किसी कूड़े और धूल की तरह इकट्ठी होने लगी है। अब विभागीय अधिकारी मामले की जांच कराने की बात कह रहे हैं।

ऐसे पकड़ी ये गड़बड़ी
चार जनवरी को रंधीरपुर गांव का रहने वाला एक युवक बाइक से गांव जा रहा था। सामने अचानक किसी के आ जाने पर उसने ब्रेक लगाए, तो उसकी बाइक फिसल गई। गिरने से उसके पैर छिल गए। देखा कि सड़क पर बजरी उखड़ी थी और इसी वजह से यह दुर्घटना हुई। फिर गांव वालों को पता चला और वे दूसरे दिन सड़क पर आ गए। झाड़ू लगाई और सड़क की इस गुणवत्ता की पोल खोलती वीडियो बना ली।

नवंबर और फरवरी में पीडब्ल्यूडी ने बनाई थी सड़क
करीब एक वर्ष में दो बार रंधीरपुर संपर्क मार्ग की सड़क का दो अलग अलग विभागों ने निर्माण कार्य किया है। गड्ढे भरने के लिए हुए दोनों बार काम में गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया। पीडब्ल्यूडी के उस समय रहे अवर अभियंता के अनुसार 2022 के नवंबर में करीब सात से आठ लाख रुपये एक किलोमीटर सड़क बनाने के लिए मिले थे। उसके बाद दो किलोमीटर सड़क का काम फरवरी में करीब 16 से 16 लाख रुपये की शेष धनराशि आने के बाद शुरू हुआ। उसके बाद सड़क पर बारिश, वाहन का दबाव यह सड़क सह नहीं कर सकी। पिछले साल दिसंबर में नहर विभाग ने अपनी कार्य क्षेत्र अधीन आने वाले करीब दो किलोमीटर हिस्से पर डामरीकरण करते हुए सड़क सुधार का काम शुरू किया।

गारंटी के नियम
अलग अलग सड़कों पर गारंटी के अलग-अलग मानक हैं। लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी के अनुसार प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनीं सड़कों की गारंटी पांच साल होती है। रणधीर मार्ग जैसी सड़कें, जिनको सुधार कर डामरीकरण किया गया हो, उनकी कम से कम एक से दो साल की गारंटी होती है। देखरेख कार्यदायी संस्था की होती है।

जानें क्या बोले ग्रामीण
रोज किसी न किसी के गिरने की सूचना मिल रही थी। लगा कि चलाने वाली की ही गलती रही होगी। लेकिन, जब सड़क का हाल देखा तो होश उड़ गए। -गोपाल सिंह, ग्रामीण

गांव का लड़का गिर गया था। जब सड़क पर जाकर देखा, तो हाल ही में बनी सड़क की दुर्दशा दिखी। झाड़ू लगाई तो सड़क ऐसे साफ हुई, जैसे डामर और बजरी फैलाई गई हो। -संदीप सिंह, ग्रामीण

गांव की सड़क है। इसलिए विभाग ने इसे बनाने में लापरवाही की। ठेकेदार के काम पर निगरानी नहीं की। इसकी शिकायत अधिकारियों से की है। जल्द नहीं बनी तो आंदोलन करेंगे। -कुंवर सिंह पाल, प्रधान, रंधीरपुर पंचायत
मामला संज्ञान में आया है। जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम को लगाया गया है। टीम पूरी सड़क की जांच करेगी। दो दिन में रिपोर्ट सौंपेगी। कार्यदायी संस्था को भुगतान नहीं हुआ है। गड़बड़ी निकलने पर भुगतान रोक दिया जाएगा। -सीपी सिंह, अधिशासी अभियंता, बेतवा नहर विभाग

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