हवाई यात्रा में जल्द ही मिलेंगी मोबाइल से कॉल करने की सुविधा….

अगले महीने से हवाई यात्रा के दौरान यात्री मोबाइल पर बातचीत या डाटा का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके लिए दूरसंचार विभाग ने इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी के दिशा-निर्देशों का मसौदा तैयार कर लिया है। विभाग ने इस पर जुलाई अंत तक केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय, गृह मंत्रालय और अंतरिक्ष विभाग के सुझाव मांगे हैं, जिसके बाद विभाग अगले महीने इस पर दिशा-निर्देश जारी कर देगा। इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी सेवा मुहैया कराने में स्पाइसजेट और जेट एयरवेज पहले ही दिलचस्पी जता चुकी हैं, जबकि अन्य विमानन कंपनियां भी इसके लिए इच्छुक हैं।  

भारतीय उपग्रह का करना होगा इस्तेमाल 
विभाग के मुताबिक, यह सेवा मुहैया कराने के लिए कंपनियों को भारतीय उपग्रह का इस्तेमाल करना होगा, जबकि किसी अन्य देश के उपग्रह के इस्तेमाल के लिए अंतरिक्ष विभाग की मंजूरी अनिवार्य होगी।   
इन-फ्लाइट सेवा प्रदाता को सरकार एक रुपये में लाइसेंस मुहैया कराएगी।

हालांकि उड़ान की सुरक्षा के मद्देनजर टेक ऑफ और लैंडिंग के वक्त मोबाइल का इस्तेमाल प्रतिबंधित होगा। माना जा रहा है कि उड्डयन मंत्रालय सुरक्षा कारणों से संबंधित क्रियान्वयन के दिशा-निर्देश भी जारी करेगा, जिसमें निर्धारित समय में सेवाएं नहीं मुहैया कराने जैसी शर्तें होंगी। विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, विमानन कंपनियां इन सेवाओं के लिए शुल्क भी तय करेंगी, जिसे ग्राहकों को अदा करना होगा। 

कई देशों में पहले से है यह सुविधा 

करीब 30 विदेशी विमानन कंपनियां भारतीय हवाई सीमा से इतर कई देशों में इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी मुहैया कराती हैं। इनमें एयर एशिया, एयर फ्रांस, ब्रिटिश एयरवेज सहित अन्य विमानन कंपनियां शामिल हैं।
भारतीय हवाई क्षेत्र को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश और क्रियान्वयन नियम नहीं होने की वजह से इन कंपनियों को भारत में यह सेवा बंद करनी पड़ती है। विभाग द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए जाने के बाद कंपनियां आसानी से यात्रियों को हवाई यात्रा के दौरान यह सेवाएं मुहैया करा सकेंगी।   सरकार ने ग्राहकों को यह सेवा मुहैया कराने के लिए दूरसंचार नियामक की सिफारिश के बाद आगे कदम बढ़ाया। इससे पहले दूरसंचार आयोग द्वारा ट्राई की सिफारिशों को मंजूरी प्रदान की गई थी। गौरतलब है कि सुरक्षा के मद्देनजर इन फ्लाइट कनेक्टिविटी के लिए भारतीय उपग्रह का इस्तेमाल करना तय किया गया है, जबकि यह नियम ट्राई की उस सिफारिश के खिलाफ है, जिसमें इस सेवा के मुहैया कराने में विदेशी उपग्रह और गेटवे के इस्तेमाल की सिफारिश की गई थी। लेकिन दूरसंचार आयोग ने विदेशी उपग्रह के प्रयोग को अस्वीकार कर दिया था। 

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