CBI ने भरतपुर जिले में राजा मानसिंह हत्याकांड से ही की थी पहली जांच,पढ़े पूरी खबर

डीग में 21 फरवरी, 1985 को विधानसभा चुनाव के दौरान पुलिस फायरिंग में हुई राजा मानसिंह और उनके दो अन्य साथियों की मृत्यु के मामले ने भरतपुर में कई तरह से इतिहास बनाया। जैसे-तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को इस्तीफा देना पड़ा था। जिले में यह पहला ऐसा मामला था, जिसकी जांच सीबीआई ने की थी।

इतना ही नहीं, इस मुकदमे की सुनवाई के लिए राजस्थान सरकार ने राजा मानसिंह हत्याकांड के नाम से स्पेशल कोर्ट बनाई थी, लेकिन 3 साल के बाद इस कोर्ट से मुकदमा ही उत्तर प्रदेश के मथुरा में ट्रांसफर हो गया। मुकदमे की करीब 32 साल तक मथुरा में सुनवाई हुई।

पीड़ित पक्ष औऱ गवाहों की लगभग तीसरी पीढ़ी ने फैसला सुना। जैसे राजा मानसिंह के नवासे दुष्यंत सिंह इस केस की सुनवाई के लिए लगातार पेशियों पर जाते रहे हैं। यह भी संयोग ही है कि जिस तारीख 21 फरवरी, 1985 को राजा मानसिंह की पुलिस फायरिंग में मृत्यु हुई थी। फैसला भी उसी तारीख 21 जुलाई को सुनाया गया है। 

घटना के बाद तत्कालीन जिला कलेक्टर एस. अहमद ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर आर.पी. पारीक को इस मामले में 21 फरवरी, 1985 को जांच अधिकारी बनाया था। फिर इसकी न्यायिक और बाद में सीबीआई से जांच हुई। सीबीआई को 4 मार्च, 1985 को यह मामला सौंपा गया।

सीबीआई ने करीब 4 महीने में ही जांच पूरी करके जुलाई, 1985 में चार्जशीट फाइल कर दी थी। इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच के लिए तत्कालीन सरकार ने 25 फरवरी, 1985 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जज वीरेंद्र सिंह ज्ञानी की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग बनाया, लेकिन, 6 माह बाद ही उसे 31 अगस्त, 1985 को भंग कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी बीते 35 साल
राजा मानसिंह की बेटी और पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा ने नवंबर,1989 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस मुकदमे को मथुरा स्थानांतरित करने का आग्रह किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 10 जनवरी, 1990 को मुकदमा जयपुर की विशेष अदालत से मथुरा स्थानांतरित हो गया था। इसके बावजूद फैसला आने में 35 साल बीत गए। देर से ही सही, लेकिन न्याय तो मिला है। यह सुनियोजित हत्या का मामला था। राजनीतिक दबाव में पुलिस ने राजा साहब को भरे बाजार में घेर कर मारा था। उनके साथ दो साथियों की भी मृत्यु हो गई थी। मेरी उनके परिवार के साथ भी संवेदना है। – कृष्णेंद्र कौर दीपा, पुत्री राजा मानसिंह 

1952 में पहली बार विधायक चुने गए थे मान सिंह

राजा मानसिंह का जन्म 5 दिसंबर, 1921 को भरतपुर रियासत में हुआ था। सन 1928-42 तक उन्होंने इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण कर इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की। वे चार भाई थे। महाराजा ब्रजेंद्रसिंह, राजा मानसिंह, गिरेन्द्रसिंह और गिर्राज सरन सिंह (बच्चूसिंह) थे। वर्ष 1946-47 में वे भरतपुर रियासत के मंत्री बने। 1952 में पहली बार हुए चुनाव में निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद 1984 तक लगातार सात बार निर्दलीय विधायक रहे। – कृष्णेंद्र कौर दीपा, पुत्री राजा मानसिंह  

तत्कालीन सीएम माथुर ने कहा था… मैंने घटना को बहुत बुरी तरह से लिया
इस घटना के बाद 23 फरवरी, 1985 को तत्कालीन सीएम शिवचरण माथुर को हाईकमान के निर्देश पर तत्कालीन राज्यपाल ओपी मेहरा से मिलना पड़ा। एक घंटे बाद ही उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया। उसी शाम राजस्व, श्रम और खान मंत्री हीरालाल देवपुरा ने मुख्यमंत्री का पदभार संभाला। 

इस मामले में मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में माथुर ने कहा था कि हैलीकॉप्टर प्रकरण की घटना को मैंने बहुत बुरी तरह से लिया। लेकिन, मैंने यह स्पष्ट कर दिया था कि कानूनी रास्ता ही अपनाना चाहिए। इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि मैंने अपने विवेक के हुक्म का पालन किया। पीएम कार्यालय को पत्र भेजने के बाद मैंने उनके सहयोगियों से बात की। जिन्होंने महसूस किया कि मेरे पद छोड़ने से मेरी और साथ ही पार्टी की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

कबाड़ हो गए सबूत: राजा मानसिंह को वैपन्स कॅरियर यानी जोंगा खासा पसंद था। वे इसी में सवारी करते थे। घटना के बाद पुलिस ने इसे माल मुकदमाती के तौर पर जब्त किया। मालखाने में यह जोंगा अब कबाड़ में तब्दील हो गया है।

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