यहाँ पढ़ें- अटल जी के जन्मदिवस पर आडवाणी जी का दर्द बयां करती कालजयी रचना – ‘बेवफा’

बेवफा

छोड़कर वो घोसला उड़ने के क़ाबिल हो गया,
बेवफाओं में अब उसका नाम शामिल हो गया।

 

शाख़ तक जाना चहकना मैंने सिखलाया जिसे,
वो परिन्दा आसमां जाने के क़ाबिल हो गया।

 

फूस के इक झोंझ में रहता था वो महफूज था,
मौज की लालच में वो नादान ग़ाफिल हो गया।

atal advaani

 

ज़िन्दगी जिसने दी उसको वो अकेला ही रहा,
मारकर बिन मौत अपनों को वो क़ातिल हो गया।

 

मां की आंखों का वो तारा बाप की उम्मीद था,
छोड़कर अपनों को ग़ैरों का वो साहिल हो गया।

 

देखकर काली घटां उम्मीद करता है शिकोह,
तेज़ तूफानों में लौटेगा ये कामिल हो गया।

–  नवेद शिकोह
9918223245

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