अगर बच्चे को हो जाए डायबिटीज, तो ऐसे रखें उसका ख्याल  

डायबिटीज विश्वभर में तेजी से बढ़ रहा है। पहले समझा जाता था कि ये बड़ी उम्र की बीमारी है मगर आजकल छोटे-छोटे बच्चे भी इस रोग के शिकार हो रहे हैं। दरअसल डायबिटीज अनुवांशिक कारणों से भी फैलता है इसलिए कई बार अगर मां-बाप या उनमें से कोई एक डायबिटीज का मरीज है, तो बच्चे को भी डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों को आमतौर पर टाइप-1 डायबिटीज होता है। इस बीमारी में पैंक्रियाज ग्रन्थि के बीटा सेल्स का नाश हो जाता है जिसके कारण शरीर में इन्सुलिन की कमी हो जाती है। ऐसा किसी ऑटोइम्युनिटी या अन्य कारणों से होता है।अगर बच्चे को हो जाए डायबिटीज, तो ऐसे रखें उसका ख्याल  

टाइप-1 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन बनने की क्षमता नहीं होती। इस प्रकार के डायबिटीज को रोका नहीं जा सकता। अधिकतर बच्चों को टाइप-1 डायबिटीज ही होता है। टाइप-1 डायबिटीज के चलते बच्चों को प्रतिदिन इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं तथा ब्‍लड शुगर की मात्रा को नियंत्रित करना पड़ता है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया जाता तो ब्‍लड में अम्ल की मात्रा बहुत बढ़ जाती है और यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।

लेकिन टाइप -1 डायबिटीज से ग्रस्‍त बच्‍चों का एक्टिव होना महत्‍वूर्ण है। यह उनकी सेहत के लिए अच्‍छा होता है और ब्‍लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करता है। लेकिन अपने बच्‍चे को खेल में भाग लेने देना भी कुछ विशेष चुनौतियां लाता है, इसमें बहुत से प्रयत्‍न संबंधी त्रुटि आती है, बेथी एलरोड, जिसका मां अटलांटा के बाहर रहने वाली है और 12 वर्षीय जुड़वा दोनों टाइप-डायबिटीज है।

एलरोड की बेटी, एमलिया एक प्रतियोगी तैराक है, और घोड़ों की सवारी भी करती है। उसका बेटा सॉयर, फुटबॉल और बेसबॉल खेलता है। एलरोड कहती हैं कि ‘मैं जो वह चाहते हैं उन्‍हें करने देने में विश्‍वास करती हूं’, इस आर्टिकल के माध्‍यम से हम आपको बच्‍चे को सक्रिय और सुरक्षित रहने के उपायों के बारे में बता रहे हैं।

अपने डॉक्‍टर से जांच करवायें
हर बच्‍चे को नए खेल की शुरुआत के लिए शारीरिक जांच की जरूरत होती है। साथ ही उसे डॉक्‍टर के स्‍वीकृति की जरूरत भी होती है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन ऑफ मेडिकल अफेयर और कॅम्‍यूनिटी इंर्फोमेशन के सीनियर वाईस प्रेजिडेंट एमडी जेग चियांग के अनुसार, ‘ज्‍यादातर मामलों में, टाइप-1 डायबिटीज वाले एक बच्‍चे या किशोर के को किसी भी प्रतिबंध की जरूरत नहीं होती।’

प्रभाव को समझे
कैसे एक्टिविटी आपके बच्‍चे के ब्‍लड शुगर को भिन्‍न तरीके से प्रभावित करता है। यह एक्टिविटी के प्रकार और आपका बच्‍चा कब तक कर सकता है, पर निर्भर करता है। बहुत अधिक पसीने से फर्क पड़ता है। इससे स्‍ट्रेस की भावनाएं आती है। ‘हमने पाया कि अत्‍यधिक एक्‍सरसाइज से ब्‍लड शुगर कम होता है, लेकिन प्रतिस्‍पर्धा स्थितियों में, [दोनों बच्‍चों का’] का स्तर ऊपर जाता है,” एलरोड कहती हैं। लेकिन यह हमेशा नहीं होता है। एक्टिविटी कैसे प्रभावित करती है, जानने के लिए बारीकी से अपने बच्चे को देखो।

इंसुलिन पंप को समायोजित करें
अगर आपका बच्‍चा इंसुलिन पंप पहनता है तो अपने बच्‍चे के इंसुलिन को समायोजित करने या खेल के दौरान एक अलग दर के उपयोग की जरूरत के हिसाब से चिकित्‍सक से जांच करवायें। अपने डॉक्‍टर की स्‍वीकृति के साथ, आप खेल या वर्कआउट के दौरान संक्षिप्‍त अवधि के लिए इसे बंद करने के सक्षम बना सकता है। उदाहरण के लिए एमलिया तैरने के अभ्‍यास के दौरान पंप बंद कर लेती है और सॉयर खेल के दौरान बिना पंप के जाता है।

एक्टिविटी के बाद अलर्ट रहें
ब्‍लड शुगर वर्कआउट के बाद 11 घंटे कम होने लगती है-कभी कभी रात के बीच में भी ऐसा होता है। इससे रोकने के तरीकों के बारे में अपने बच्‍चे के डॉक्‍टर से बात करें। रात के समय स्‍नैक्‍स और बेसल इंसुलिन का समायोजन (अगर वह एक पंप का उपयोग करता है) सोने से पहले मदद कर सकता है।

दूसरों को अपनी समस्‍या के बारे में बतायें
कोई भी वयस्‍क जो अपने बच्‍चे की देखभाल कर रहा है उसे अपने बच्‍चे के हालत और इसके इलाज के लिए बताया जाना चाहिए। जबकि बच्‍चे विशेष रूप से पुराने में अलग दिखाई नहीं देता, इसलिए कभी-कभी अलग उपचार की जरूरत होती है। सॉयर का कोच उसे जरूरत पड़ने पर मैदान के बाहर जाने की सुविधा देता है, एलरोड कहती हैं। अगर एमलिया को लगता है कि उसका शुगर का लेवल कम हो रहा है तो वह पुल से बाहर निक कर अपने शुगर की जांच करके, ग्‍लूकोज की गोलियां लेती हैं।

अपना समर्थन दें
यह सामान्‍य चिंता है कि आपका बच्‍चा बास्केटबॉल खेल के बीच में लो है। लेकिन आप उसे सक्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित करें और उसे बताये है कि वह सफल हो सकता है। उसे, उसका ब्‍लड शुगर के स्तर की निगरानी करने, उसके हाथ पर आपूर्ति रखने के लिए, और हाइपोग्लाइसीमिया और हाइपरग्‍लेसीमिया के प्रांरभिक लक्षण पता लगाने सिखाये। एलरोड का कहना है कि टाइप -। से ग्रस्‍त बच्‍चों किे लिए ‘ज्ञान ही शक्ति है।’

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