हरियाणा: कपिल तीर्थ पर इसरो, ओएनजीसी व सरस्वती बोर्ड मिलकर करेंगे शोध

हरियाणा के कैथल में कपिल मुनि तीर्थ में फिर से फूटी सरस्वती की धारा पर संज्ञान लेते हुए सरस्वती बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमच ने तीर्थ का दौरा किया। उन्होंने सरोवर में उतर कर फूट रहे स्रोतों का गहरा अवलोकन करने के बाद जल के सैंपल भी लिए।

बाद में पत्रकारों से बात करते हुए उपाध्यक्ष ने कहा कि कपिल मुनि तीर्थ सरस्वती के प्राचीनतम पैलियो चैनल पर स्थित है। उन्होंने कहा कि आज भी लुप्त सरस्वती का प्रवाह धरती के अंदर निरंतर बना हुआ है। उन्होंने कहा कि यह भी सिद्ध हो चुका है कि आदि बद्री से सौराष्ट्र तक भूमि में पानी के बड़े बड़े पैलियो चैनल्स हैं जो अपने में अथाह जल का भंडार लिए हुए हैं। अभी तक की खोज में यह सिद्ध हो चुका है कि कलायत का कपिल तीर्थ भी एक पैलियो चैनल पर स्थापित है।

धूमन सिंह ने बताया कि 2005 में भी इसी तीर्थ में सरस्वती की धारा फूटी थी। उस समय इसरो के डायरेक्टर डाॅ. एके गुप्ता व डाॅ. एस कल्याणरमन यहां पर आए थे और रिसर्च के लिए जल के सैंपल लिए थे। रिसर्च के बाद इसरो निदेशक डाॅ. बीके भद्रा ने रिपोर्ट दी थी कि इसरो के द्वारा लिए गए चित्रों से यह साबित होता है कि सरस्वती यहीं से युगों-युगों से बहती आई है।

रिसर्च से साबित होता है कि यही सरस्वती का पवित्र जल है। इसके बाद इसी स्थान पर 2007 में जल धारा फूटी थी तब वे स्वयं, सरस्वती शोध संस्थान के संस्थापक दर्शन लाल जैन, मुख्य मंत्री नायब सैनी के एडवाइजर भारत भूषण भारती व डाॅ. एआर चौधरी यहां से सैंपल लेकर गए थे। तब भी रिसर्च में यह स्पष्ट हुआ था कि स्रोतों से फूटने वाला दिव्य जल सरस्वती का ही है। इस स्थान पर बार-बार फूट रही जलधारा ही प्रमाण है सरस्वती के इस क्षेत्र से बहने का।

इसरो व ओएनजीसी के साथ मिल कर करेंगे शोध
किरमच ने कहा कि अब सरस्वती बोर्ड इस तीर्थ पर एक घाट का निर्माण करेगी। ओएनजीसी के साथ मिलकर एक कुएं का खोदाई का काम करेंगे ताकि नीचे से फूटने वाले इस जल को प्रवाह का रास्ता दिया जा सके। अभी तक जितने भी सरस्वती बोर्ड ने ओएनजीसी के साथ मिल कर आदि बद्री से लेकर जहां सरस्वती रण के कच्छ में गुजरात में गिरती है वहां तक खुदवाए हैं। अब शोध के लिए यहां भी कुआं खुदवाया जाएगा ताकि नीचे से आने वाले पानी को रास्ता मिल सके और श्रद्धालुओं को स्वच्छ व दिव्य जल इस तीर्थ से मिल जाए।

उन्होंने बताया कि इस बारे में मुख्यमंत्री नायब सैनी से भी उनकी बात हुई है ताकि इस प्रोजेक्ट को आगे तक ले जाया जा सके। ताकी सरस्वती बोर्ड व केडीबी साथ मिलकर इस तीर्थ को और विराट स्वरूप देने के लिए अच्छे ढंग से काम कर सकें। इस अवसर पर उनके साथ घुमंतू जाति बोर्ड के चेयरमैन जसवंत पठानिया, मंडल अध्यक्ष राजीव राणा व राजकमल ढांडा भी मौजूद रहे।

जाने पैलियो चैनल के बारे में

पैलियो चैनल उन नदियों या धारा चैनलों के अवशेष हैं जो अतीत में बहती थीं और वर्तमान में युवा नदी तलछट से भर गई हैं या दबी हुई हैं। पैलियो चैनल का पता लगाने के लिए कई तकनीकें हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने आंतरिक फायदे और नुकसान हैं।

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