पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले शशि थरूर मुश्किल में, कोर्ट पहुंचा मामला

पिछले दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर का पीएम नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना भारी पड़ गया है। पीएम मोदी पर की गई टिप्पणी के मामले में शशि थरूर के खिलाफ आपराधिक मानहानि की एक याचिका दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में दायर की गई है। पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले शशि थरूर मुश्किल में, कोर्ट पहुंचा मामला

बता दें कि गलतबयानी के लिए कुख्यात कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बेंगलुरु में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए भाषा की मर्यादा की सभी हदें पार कर ली थीं। शशि थरूर ने कहा था- ‘प्रधानमंत्री मोदी उस बिच्छू की तरह हैं जो एक शिवलिंग पर बैठा है। जिसे हाथ से भी नहीं हटाया जा सकता और चप्पल से भी नहीं मारा जा सकता है।’ कांग्रेस सांसद के इस अमर्यादित बयान की भाजपा ने तीखी आलोचना की थी।

गौरतलब है कि तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने भरी सभा में यह शब्द यह जताते हुए कहा कि ऐसा एक अनाम आरएसएस सूत्र ने एक पत्रकार से कहा है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपनी नई किताब ‘द पैराडाक्सिकल प्राइम मिनिस्टर : नरेंद्र मोदी एंड हिज इंडिया’ के प्रमोशन के दौरान प्रधानमंत्री के विरोधाभासों की आलोचना करते हुए कहा था कि वह शब्दों के धनी हैं। साथ ही कहा था कि जब दलितों पर हमले होते हैं, मुसलमानों की हत्या की जाती है और गोरक्षक लिंचिंग करते हैं। कांग्रेस सांसद ने कहा था कि प्रधानमंत्री बहुसंख्यक हिंदू तत्वों पर काबू नहीं कर पाए हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि जब वह पहली बार सत्ता में आए और बड़े-बड़े बयान देने शुरू किये तो मुझे लगा कि वह अपनी पार्टी को सांप्रदायिक की छवि से निजात दिला देंगे। लेकिन वह अपने शासनकाल में कई सारे मौकों पर चुप्पी साधकर हिंदू बहुसंख्यक तत्वों को खुली छूट देते रहे। वह ना तो इन हिंदू बहुसंख्यकों पर लगाम कस सके और ना ही उन्हें कोई चेतावनी दे सके। इससे इन तत्वों को खुली छूट मिल गई। शशि थरूर ने कहा कि मोदी का चुप रह कर खुली छूट देना ही असली संदेश है। उनके भाषणों में आर्थिक विकास का जिक्र सिर्फ दिखावे के लिए है।

थरूर ने कहा कि साढ़े चार साल पहले प्रधानमंत्री बने मोदी के जाने का अब समय आ गया है। वह एक सफल प्रधानमंत्री हो सकते थे, अगर उन्होंने आर्थिक विकास पर असलियत में ध्यान केंद्रित किया होता। लेकिन मोदी ने अपने वोट बैंक पर फोकस किया और ऐसे तत्वों को खुली छूट दे दी। यह हिंदूवादी तत्व लिंचिंग, अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमलों में और भी अधिक सक्रिय हो गए।

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