कैबिनेट में मजबूत हुए बाजवा, प्रमोशन के बावजूद अरुणा का घटा कद

चंडीगढ़। जैसा कि तय था कि कैबिनेट विस्तार के साथ ही कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव किया जाएगा। बदलाव में जहां ‘माझा एक्सप्रेस’ के नाम से पहचाने जाने वाले तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा का कद बढ़ा है तो वहीं, राज्य से कैबिनेट मंत्री बनने के बावजूद अरुणा चौधरी का कद घट गया है। मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक सुधार जैसा विभाग मनप्रीत बादल को देकर भरोसा जताया है।कैबिनेट में मजबूत हुए बाजवा, प्रमोशन के बावजूद अरुणा का घटा कद

सबसे बड़ा बदलाव बाजवा व अरुणा चौधरी के ही विभागों में हुआ है। मुख्यमंत्री ने तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को ग्रामीण विकास के साथ-साथ आवास व शहरी विकास विभाग भी दिया है, जबकि पहले यह विभाग स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू मांग रहे थे। शहरी क्षेत्र से जुड़े होने के कारण सिद्धू इसे एक ही छत के नीचे लाने की बात कर रहे थे, लेकिन कैप्टन ने अपने महत्वाकांक्षी विभाग आवास व शहरी विकास को बाजवा को सौंपा है। उनसे वाटर सप्लाई एवं सेनिटेशन लेकर रजिया सुल्ताना को दिया है।

वहीं, बड़ा बदलाव शिक्षा के क्षेत्र में हुए। मुख्यमंत्री ने अरुणा चौधरी से शिक्षा वापस लेकर उसे दो हिस्सों में बांट दिया। हायर एवं स्कूली शिक्षा को दो हिस्सों में बांट दिया। मुख्यमंत्री लंबे समय से अरुणा चौधरी के काम से संतुष्ट नहीं थे। यह भी चर्चा चल रही थी कि उनकी कैबिनेट से छुïट्टी हो सकती है, लेकिन कैप्टन ने उनके ओहदे में बढ़ोतरी तो की, लेकिन विभाग बदल दिया। वहीं, कैप्टन ने प्रशासनिक सुधार विभाग मनप्रीत बादल को सौंप कर उन पर भरोसा जताया है। यह विभाग मुख्यमंत्री के पसंदीदा विभागों में से है, लेकिन कैप्टन ने इसे मनप्रीत को सौंपा है।

क्यों जताया कैप्टन ने बाजवा पर भरोसा

बाजवा इस समय मुख्यमंत्री के भरोसेमंद मंत्री हैं। पिछले दिनों सुनील जाखड़ के नाराज होकर मुख्यमंत्री से मिले बगैर सचिवालय से वापस चले जाने पर भी बाजवा ने स्थिति को संभालने में बड़ी भूमिका अदा की थी, जबकि कोर्ट केस के कारण मुख्यमंत्री के मुख्य प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार ने जब दफ्तर आने से मना कर दिया था और कैप्टन के कहने पर भी नहीं मान रहे थे। तब भी बाजवा ने इस मामले में अहम किरदार निभाया था। बाजवा लंबे समय से कैप्टन के विश्वास पर खरे उतरते आ रहे हैं।

क्यों घटा अरुणा चौधरी का कद

अरुणा चौधरी कांग्र्रेस सरकार के गठन के साथ ही विवादों में फंस गई थीं। तब यह बात निकल कर सामने आई थी कि सरकारी फाइलों को उनके पति पढ़ रहे थे। वहीं, लगातार यह भी शिकायतें आ रही थीं कि अरुणा चौधरी के महकमे में उनके पति अशोक चौधरी काफी हस्तक्षेप करते हैं। शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर भी कैप्टन संतुष्ट नहीं थे।

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