चाचा-भतीजे के बीच अब हो सकती हैं सुलह, अखिलेश को आया फोन…

मुलायम कुनबे में सुलह की कोशिश तेज हो गई है. 5 अक्टूबर को आगरा में होने वाली सपा  पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले चाचा-भतीजे के बीच सुलह कराने में मुलायम सिंह अहम भूमिका निभा रहे हैं.

akhilesh yadav

इसी का नतीजा है कि शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को फोन करके अध्यक्ष चुने जाने की अग्रिम बधाई. चाचा भतीजे के बीच दोनों के बीच सुलह के आसार बने है. शिवपाल ने मुलायम के कहने पर की पहल सारे गिले शिकवे भुलाकर अखिलेश से दोस्ता का हाथ बढ़ाया है. सूत्रों की माने तो मंगलवार को शाम मुलायम और शिवपाल यादव  के बीच इस मुद्दे पर बात हुई.

बता दें कि चाचा-भतीजे के बीच इस साल जनवरी में विवाद इतना बढ़ गया था, कि अखिलेश यादव ने पार्टी में बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था और अपने पिता मुलायम सिंह यादव को हटाकर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए थे. अखिलेश को जहां रामगोपाल यादव सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का साथ मिला तो शिवपाल को मुलायम का.

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यादव कुनबे में विवावों की वजह से यूपी में अखिलेश को हार का सामना करना पड़ा. बावजूद इसके उन्होंने झुकने का नाम नहीं लिया. जबकि शिवपाल लगातार कहते रहे कि पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव को दी जाए. लेकिन अखिलेश ने एक नहीं मानी. इसके बाद शिवपाल ने नई पार्टी बनाने की बात कहना शुरू किया.

पिछले दिनों नई पार्टी का ऐलान भी होने वाला था, लेकिन मुलायम ने ऐन वक्त पर शिवपाल के अरमानों पर पानी फेर दिया और नई पार्टी बनाने से साफ मना कर दिया. इसके बाद शिवपाल पार्टी में पूरी तरह अलग थलग पड़ गए.

चाचा भतीजे के बीच सुलह के आसार

आप बता दें कि समाजवादी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक बुधवार दोपहर से पहले तक चाचा-भतीजे में सुलह हो जाएगी. इसी मद्देनजर नेताजी के घर पर यादव परिवार के लोग एकजुट होंगे और अखिलेश यादव व शिवपाल यादव के बीच सुलह के रास्ते तलाशे जाएंगे.

सूत्रों का कहना है कि सुलह 95 फीसदी हो चुका है. बस आज देर शाम से कल तक सिर्फ मुहर लगनी है. मालूम हो कि शिवपाल अब इस बात पर अड़े हुए हैं कि उनके जिन तीन करीबियों को अखिलेश ने पार्टी से निकाला है, उन्हें दोबारा से पार्टी में वापस लाया जाए. इसके अलावा शिवपाल खुद के लिए अब राष्ट्रीय महासचिव का पद चाहते हैं, जिस पर नेताजी भी सहमत हैं. हालांकि शिवपाल यादव के राष्ट्रीय राजनीति में सबसे बड़ा रोड़ा रामगोपाल यादव हैं.

रामगोपाल को लगता है कि शिवपाल के राष्ट्रीय राजनीति सक्रिय होने से उनका राजनीतिक कद कमजोर होगा. दरअसल, परिवार में सुलह के संकेत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने भी दिया है. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव हमारे नेता हैं और शिवपाल यादव सारथी. पांच तारीख के अधिवेशन में सभी शामिल होंगे.

शिवपाल के करीबी माने जाने वाले बलिया के नारद राय अब फिर से सपा में वापसी कर सकते हैं. वह विधानसभा चुनाव के दौरान सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया था.

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