370 हटा अब बढ़ेगी अलगाववादियों की मुश्किल, जानें कैसे…

मोदी सरकार की ओर से तैयार गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) घाटी के अलगाववादियों पर कहर बन सकता है. अगर आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले सामने आए तो सरकार इस कानून के तहत अलगाववादियों पर भी कार्रवाई कर सकती है. वजह कि धारा 370 हटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में यह कानून लागू होगा. इस कानून के तहत सरकार आतंकवाद  या उसे बढ़ावा देने में भूमिका मिलने पर किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित कर सकती है.

शिवसेना ने की मुफ्ती पर यूएपीए लगाने की मांग

बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना ने हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ ही इस नए कानून के तहत केस दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी. कहा था कि वह आतंकवादियों की भाषा बोल रही हैं. दरअसल, अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने को लेकर महबूबा मुफ्ती ने कहा था- अनुच्छेद 35ए को छूने वाले हाथ जला दिए जाने चाहिए और कश्मीरियों को बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए.

इस पर शिवसेना ने पांच जुलाई को अपने मुखपत्र सामना में लिखा- “देश के गृह मंत्री को उकसावे एवं विद्रोह की ऐसी भाषा को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. यह आतंकवाद की भाषा है. उन्हें (मुफ्ती को) नये यूएपीए के तहत जेल भेज दिया जाना चाहिए..अगर ऐसा नहीं हुआ तो कश्मीर में दंगे कराने की उनकी साजिश कामयाब हो जाएगी.”

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क्या है यूएपीए

मोदी सरकार की ओर से 17 वीं लोकसभा के पहले सत्र में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) का बिल पास कराया गया. इसके तहत केंद्र सरकार को किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने और उनकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार देती है. इस विधेयक के तहत सरकार उन लोगों को आतंकवादियों के तौर पर चिन्हित कर सकती है, जो आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त हैं या फिर आतंक को बढ़ावा देते हैं.

बिल पर बहस के दौरान संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल के महत्व के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि आतंकवादियों को व्यक्तिगत रूप से चिन्हित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसे मामले सामने आ चुके हैं कि जब किसी आतंकी संगठन पर प्रतिबंध लगता है तो वे अलग नाम से संगठन बना लेते हैं. हालांकि विपक्ष ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा था कि यह सरकार को किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है. जिससे इसका दुरुपयोग हो सकता है.

पत्थरबाजों पर भी लग सकता है कानून

बीजेपी नेता और धारा 370 तथा 35 ए के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में लगातार उठाने वाले अश्निनी उपाध्याय का कहना है कि यह कानून लाना बहुत जरूरी था. इससे घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने में लगे अलगाववादियों पर शिकंजा कसेगा. सरकार घाटी के पत्थरबाजों पर भी सख्त कार्रवाई कर सकती है. क्योंकि पत्थरबाजी का रास्ता भी आतंकवाद की ओर ही जाता है. लगातार नसीहतों के बाद भी न सुधरने वाले पत्थरबाजों पर भी सरकार अब कार्रवाई कर सकेगी. अभी तक धारा 370 लागू होने से सख्त कानूनों के अभाव में एजेंसियों को कार्रवाई करने में मुश्किल होती थी.

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