रामजन्मोत्सव के साक्षी बनने देश विदेश से आए श्रद्धालु, मुस्लिम महिलाओं ने उतारी आरती

रामजन्मोत्सव की पावन बेला में अयोध्या में आस्था का कुंभ नजर आया। साक्षी बनने के लिए देश के कोने-कोने से ही नहीं, सात समंदर पार से भी श्रद्धालु पहुंचे। हर कोई रामलला की दिव्य छवि को अपनी नजरों में बसाने को आतुर था। हर जन मन में बस राम ही राम नजर आए। आस्था ऐसी कि 37 डिग्री तापमान में भी बड़ी संख्या में भक्त नंगे पांव रामलला के दर्शन को पहुंचे।

रामलला के दर्शन के लिए कतर से पहुंचीं निकिता कुसुम ने कहा कि 22 जनवरी को ही आने की तैयारी थी, लेकिन नहीं आ सके। जन्मोत्सव के अवसर को गंवाना नहीं चाहते थे इसलिए अयोध्या आए। रामलला के सम्मुख पहुंचते ही उनकी दिव्य छवि मानो आंखों में बस गईं। टेंट में भी रामलला को देखा था।

अब भव्य मंदिर में भी देखने का अवसर मिला यह कहते-कहते निकिता भावुक हो उठीं। पति नीरज तिवारी उन्हें संभालते हैं। नीरज कहते हैं कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कतर के हिंदू भी अयोध्या आने को लालायित हैं।

नेपाल से आए बागेश्वर जय श्रीराम गुनगुनाते हुए रामलला के दर्शन कर लौट रहे थे। बोले- मंदिर से आने का मन ही नहीं कर रहा था, लेकिन कुछ आचार संहिता भी है, जिसे मानना ही पड़ता है। रामलला की छवि मनमोहक है। मंदिर अद्भुत है।
महाराष्ट्र के रामचंद्र बडरे कहते हैं कि यह राम की महिमा है कि तेज धूप में लोग नंगे पांव चले आ रहे हैं। नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो, चरण हो राघव के, जहां मेरा ठिकाना हो…पंक्तियों के जरिये उन्होंने राम के प्रति अपनी आस्था और अयोध्या की महिमा को व्यक्त किया। गवालियर से आए राजपाल मोबाइल में रामजन्मभूमि पथ की भव्यता को कैद कर रहे थे।

501 महिलाएं, दलित, आदिवासी, मुसहर और किन्नर बने पुजारी
उधर, रामनवमी पर काशी से श्रीराम परिवार भक्त आंदोलन की शुरुआत हुई। देश में पहली बार दलित, आदिवासी, मुसहर, किन्नर और महिलाओं को दीक्षा देकर पुजारी बनाया गया। पहले चरण में 501 लोगों को दीक्षा देकर पुजारी बनाया गया। उन्हें हर 20 घर में पूजा कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई। महिलाओं को जानकीचार्या और पुरुषों को रामाचार्य की पदवी दी गई। साथ ही 1100 लोगों ने दीक्षा लेकर राम परिवार भक्ति आंदोलन को देशभर में ले जाने का संकल्प लिया।

मुस्लिम महिलाओं ने उतारी भगवान श्रीराम, माता जानकी की आरती
अयोध्या है हमारी जियारत गाह का नाम, रहते हैं वहां मालिक-ए-कायनात, श्रीराम, जय श्रीराम, जय जय राम… की धुन के साथ मुस्लिम महिलाओं ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की आरती उतारी। रामनवमी पर बुधवार को यह नजारा लमही स्थित सुभाष भवन में नजर आया।

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