कोर्ट ने खारिज किया तीन तलाक विरुद्ध नियम
गौड़ ने बताया कि कुछ समय बाद महिला पति का घर छोड़ कर अपने मायके आ गई। बाद में उसने तौसीफ के खिलाफ दहेज विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज करवाया। वह मुकदमा न्यायालय में अब भी लंबित है।
इसी बीच अक्टूबर 2014 में उज्जैन कोर्ट परिसर में तौसीफ ने मौखिक रूप से अरशी को तलाक दे दिया। बाद में तौसीफ ने उसे एक नोटिस भेजकर कहा कि उसने तीन बार तलाक बोलकर उसे तलाक दे दिया है। अरशी ने तलाक को चुनौती देते हुए कहा कि इसमें शरीयत के नियमों का पालन नहीं किया गया।
जज ने माना कि तौसीफ ने कोई भरोसेमंद सबूत पेश नहीं किया कि तलाक किस तरीके से दिया गया। तौसीफ यह भी नहीं साबित नहीं कर सका कि तीन तलाक दिए जाने के दौरान अरशी कोर्ट परिसर में मौजूद थी या नहीं, क्योंकि शरीयत के नियमों के मुताबिक महिला की मौजूदगी अनिवार्य है।
इसके अलावा दोनों पक्षों की ओर से मध्यस्थता के लिए कोई पहल भी नहीं की गई, जबकि शरीयत में ऐसा करना जरूरी है। इसलिए यह तलाक नहीं हो सकता। वहीं, तौसीफ ने यह मामला अदालत के दायरे में न आने की बात भी कही, लेकिन फैमिली कोर्ट ने उसकी दलील खारिज कर दी।