बठिंडा में रोचक हुआ मुकाबला, शिअद की हरसिमरत के खिलाफ मैदान में उतरे नए लड़ैया

लोकसभा चुनाव के लिए पंजाब की सभी 13 सीटों पर मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने भी प्रदेश में अपनी गतिविधियां बढ़ानी शुरू कर दी हैं।

मुख्यमंत्री व आप के पंजाब के प्रधान भगवंत मान पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में रोड शो करने में लगे हैं। शिरोमणि अकाली की तरफ से पंजाब बचाओ की यात्रा के जरिये अपना प्रचार तेज किया जा रहा है। इसी तरह कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवार भी जनसभाएं व बैठकें करके लोगों को अपने साथ जोड़ने में लगे हैं। लोकसभा चुनाव में शिअद का गढ़ मानी जाने वाली बठिंडा सीट पर भी इस बार मुकाबला तगड़ा होने जा रहा है।

इस सीट पर सभी राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। खास बात यह है कि हरसिमरत के सामने खड़े उम्मीदवारों का यह पहला लोकसभा चुनाव है, जबकि हरसिमरत चौथी बार मैदान में हैं। वह लगातार तीन बार से सांसद हैं। उनके लिए शिअद के गढ़ को बचाना साख का सवाल बना हुआ है। इसका प्रमुख कारण यह भी है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में आप प्रत्याशी खुड्डियां पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को हराकर विधानसभा पहुंचे थे।

वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में शिअद प्रत्याशी हरसिमरत कौर ने इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को 21,772 मत के अंतर से मात दी थी। इस बार परस्थितियां बदल गई हैं, क्योंकि वड़िंग अब बठिंडा की जगह लुधियाना से चुनाव लड़ रहे हैं। हरसिमरत 2009 में पहली बार राजनीति में उतरी थीं। वे बठिंडा से पार्टी प्रत्याशी बनीं और जीत दर्ज की। वर्ष 2014 और 2019 में भी उन्होंने इसी सीट से अपनी जीत जारी रखी। आप प्रत्याशी खुड्डियां 2022 के चुनाव में लंबी सीट से शिअद उम्मीदवार प्रकाश सिंह बादल को 11,396 मत के अंतर से हराया था। भाजपा प्रत्याशी परमपाल कौर मलूका राजनीति में नई हैं। इससे पहले वह पंजाब सरकार में आईएएस अधिकारी के तौर पर सेवाएं दे रही थीं। हालांकि, उनका परिवार राजनीतिक से जुड़ा रहा है। उनके ससुर सिकंदर सिंह मलूका अकाली सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। परमपाल कौर ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अपने पति के साथ भाजपा में शामिल हो गए थीं, जिसके बाद ही भाजपा ने बठिंडा से उन्हें उम्मीदवार घोषित कर दिया था। उनके ससुर सिकंदर सिंह मलूका आज भी अकाली दल में हैं।

इसी तरह कांग्रेस प्रत्याशी जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू चार बार के विधायक हैं। उन्होंने शिअद छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था और कांग्रेस ने उनको बठिंडा से अब टिकट थमा बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने हर बार तलवंडी साबो हलके से ही चुनाव लड़ा है और लोकसभा चुनाव में पहली बार मैदान में उतरे हैं। उनके सामने अब तलवंडी साबो के अलावा बाकी हलकों में भी अपनी पकड़ बनाने की चुनौती है। वह इससे पहले शिअद और कांग्रेस दोनों पार्टियों से इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं।

1814 पोलिंग स्टेशनों पर होगा मतदान
इस बार लोकसभा चुनाव में बठिंडा सीट का ताज किसके सिर पर सजेगा, यह 1814 पोलिंग स्टेशनों पर मतदान से तय होगा। चुनाव आयोग की तरफ से 1 मार्च, 2024 तक जारी मतदाता सूची के अनुसार इस सीट पर 16,38,881 मतदाता हैं, जिसमें से 8,63,989 पुरुष और 7,74,860 महिलाएं हैं। इस सीट पर 85 वर्ष की आयु से ऊपर के मतदाताओं की संख्या 12,565, दिव्यांग मतदाता 14,151 और एनआरआई मतदाता 16 हैं।

2022 के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर रहा आप का कब्जावर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में बठिंडा लोकसभा क्षेत्र के अधीन आती सभी विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा था। लंबी विधानसभा क्षेत्र में आप प्रत्याशी गुरमीत सिंह खुड्डियां ने जीत दर्ज की थी। भुच्चो मंडी में आप प्रत्याशी जगसीर सिंह ने शिअद उम्मीदवार दर्शन सिंह को 50212 मतों के अंतर से मात दी थी। बठिंडा अर्बन से आप के जगरूप सिंह गिल ने कांग्रेस के मनप्रीत सिंह बादल को 63581 मतों के अंतर से हराया था। इसी तरह बठिंडा रूरल सीट पर आप प्रत्याशी अमित रतन ने शिअद के प्रकाश सिंह भट्टी को 35479 मतों से मात दी थी। तलवंडी साबो से आप प्रत्याशी प्रोफेसर बलजिंदर कौर, मौड़ विधानसभा क्षेत्र से आप के सुखवीर सिंह, मानसा से डॉ. विजय सिंगला, सरदूलगढ़ से गुरप्रीत सिंह और बुढलाडा से बुद्ध राम ने चुनाव जीता था।

1962 से लेकर लेकर अब तक 11 बार शिअद ने मारी बाजीबठिंडा की सीट पर 1962 से लेकर अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं, उनमें से 11 बार इस सीट पर शिअद का कब्जा रहा है। इसमें से दो बार कांग्रेस और दो सीपीआई के सांसद रहे हैं। 2009 से 2019 तक लगातार शिअद ही यहां से चुनाव जीत रहा है। यहां ज्यादातर नौकरीपेशा लोग हैं। साथ ही कृषि व्यावसाय से अधिकतर जुड़े हैं।

किसानों का विरोध सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनौती न्यूनतम समर्थन मूल्य व अन्य मांगों को लेकर पंजाब के किसान संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में पंजाब व हरियाणा के बॉर्डर पर डटे हुए हैं। लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को भी किसान यूनियनें घेर रही हैं और उनसे सवाल पूछ रही हैं। मोर्चा की तरफ से गांवों में किसानों को एक सवालों की सूची भी थमा रखी है, जो वह राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के सामने रख रहे हैं। यही कारण है कि बठिंडा में भी उम्मीदवारों को इन सवालों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ प्रत्याशियों को तो किसानों का काफी ज्यादा विरोध झेलना पड़ रहा है, जिससे उनका प्रचार भी प्रभावित हो रहा है।

चुनाव में ये मुद्दे हावी
पूरे प्रदेश की तरह ही बठिंडा में भी किसानों का मुद्दा हावी है। बठिंडा में किसान अपनी हालत सुधारने की राजनीतिक दलों से मांग कर रहे हैं। इसी तरह मानसा में घग्गर के कहर से भी लोग परेशान हैं। पिछले साल भी बांध टूटने के कारण घग्गर ने काफी कहर बरपाया था और कई गांवों में फसलें पानी की चपेट में आ गई थीं। इसी तरह बठिंडा के कई क्षेत्रों में नई इंडस्ट्री लगाने की लोगों की पिछले काफी समय से मांग हैं, जिसमें मानसा व बुढलाडा प्रमुख रूप से शामिल हैं। यहां एक पुराना थर्मल प्लांट भी बंद कर दिया गया था और नया प्लांट नहीं लग पाया है। इसी तरह बेरोजगारी भी एक बड़ा मुद्दा है। बठिंडा का हरियाणा के साथ बॉर्डर लगता है और नशे के खेल से ये लोकसभा क्षेत्र भी अछूता नहीं है। अलग-अलग एजेंसियों ने बठिंडा जिले में 16 मार्च से 27 अप्रैल 2024 तक 4.10 करोड़ रुपये की ड्रग, शराब व नकदी जब्त की है।

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