मंगल की नई खोज ने मचाई सनसनी, छिपा है एवरेस्ट से भी बड़ा ज्वालामुखी!

एक अनोखी खोज में वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर एक असामान्य आकार का ज्वालामुखी खोजा है जो कि एवरेस्ट से भी काफी बड़ा है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह अभी पहचान में नहीं आ रहा था. मंगल की भूमध्य रेखा के पास मौजूद यह ज्वालामुखी आसपास के भूभाग से भी ऊंचा नहीं है और स्पष्ट पहचान में नहीं आता है. लेकिन इसकी खोज से मंगल पर पानी और बर्फ की खोज को एक दिशा मिल सकती है.

इस ज्वालामुखी के बारे में कहा जा रहा है कि यह दिखाई देने की स्थिति में नहीं था और हाल ही में मार्स इंस्टीट्यूट चेयरमैन डॉ पास्कल ली ने अमेरिका के टैक्सास के वुडलैंड्स में हुई 55वीं लून एंड प्लैनेटरी साइंस कॉन्फ्रेंस में इस खोज का ऐलान कर विज्ञान जगत में सनसनी फैला दी है.

इस ज्वालामुखी की खोज ली और मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के भूगर्भविज्ञान के पीएचडी छात्र सौरभ शुभम ने की है. यह ज्वालामुखी मंगल ग्रह के नोक्टिस लेबरिंथस इलाके में पाया गया है, जो कि मंगल की भूमध्य रेखा के पास गहरी कंदराओं के जाल में स्थित है. वैज्ञानिक बहुत से सैटेलाइट होने के बाद भी बहुत लंबे समय तक इसे साफ तौर पर देख नहीं पा रहे थे.

ली का कहना है कि यह आसानी से दिखाई नहीं देता क्योंकि यह आसपास के भूभाग से ऊंचा उठा हुआ नहीं है. इतना ही नहीं इसका बहुत अधिक अपरदन हुआ है और इसे देखने के बाद भी पहचाना बहुत मुश्किल है. माना जा रहा है कि यह यह पहचान सही साबित हुई तो इसका मंगल ग्रह की भूगर्भीय समझ पर गहरा असर पड़ना तय हैं.

ली ने यह भी बताया कि ज्वालामुखी की खोज से भविष्य में पानी, बर्फ और जीवन की खोज के अभियानों को एक दिशा मिल सकेगी. ठीक इसी जगह को लेकर पिछले साल हुए अध्ययन में कहा गया था कि नॉक्टिस लेबरिंथस इसाका विशाल ग्लेशियर से भरा पड़ा है जिन पर नमक के निक्षेप पड़े हैं.

इसके बाद शोधकर्ताओं ने नमक के नीचे जमे हुए पानी की पड़ताल करने के लिए नासा के मार्स रिकोनॉयसेंस ऑर्बिटर के जमा किए गए आंकड़ों की पड़ताल की. इस ज्वालामुखी की खास बात यही है कि इसका लावा ग्लेशियर के पास बह रहा है और उसका पूरी तरह से ऑक्सीकरण भी नहीं हुआ है. संकेतों से पता चलता है कि यह लावा ताजा है, जिससे साफ होता है कि आसपास एक ज्वालामुखी सक्रिय होना चाहिए.

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