ऊपर जाने पर क्‍यों घटने लगता तापमान, क्‍यों लगने लगती है ठंड? 

आसमान में तो सूरज हमें नजर आता है, फ‍िर जब हम ऊपर की ओर जाते हैं तो तापमान घटने क्‍यों लगता है? अंतर‍िक्ष की ओर जाने पर ठंड क्‍यों लगने लगती है? सोशल मीडिया पर यही सवाल पूछा गया. लोगों ने अपनी-अपनी जानकारी के ह‍िसाब से जवाब दिया. लेकिन साइंस इस बारे में क्‍या कहता है, आइए जानते हैं.

साइंस के मुताबिक, अगर आसमान से कोई बर्फ नहीं ग‍िर रही, बार‍िश नहीं हो रही, तो जैसे-जैसे आप 1,000 फीट ऊपर जाएंगे, तापमान लगभग 5.4 डिग्री फ़ारेनहाइट कम होता जाता है. गण‍ित की भाषा में कहें तो हर क‍िलोमीटर ऊपर जाने पर तापमान में 9.8 डिग्री सेल्सियस की ग‍िरावट आने लगती है. बार‍िश या बर्फबारी होने पर यह ग‍िरावट सिर्फ 6 ड‍िग्री सेल्‍स‍ियस रह जाती है. अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के डायरेक्‍टर माइकल टिन्नेसैंड ने इसे समझाया.

ऊपर हवा कम हो जाती
उनके मुताबिक, आप पृथ्वी से जितना दूर जाते हैं, वातावरण उतना ही पतला होता जाता है. सूर्य से आने वाली ऊष्मा हमेशा वातावरण में मौजूद पदार्थों से टकराकर हमारे तक पहुंचती है. जब वातावरण पतला होगा, तो वहां कोई ऐसी सामग्री ही नहीं होगी, जो ऊष्मा का विक‍िरण फैलाए. दूसरा, जैसे जैसे हम ऊपर जाते हैं, पृथ्वी के उत्सर्जन का मान घटता है. साथ ही, ऊपर हवा कम हो जाती है जिससे दबाव कम हो जाता है. जैसे-जैसे दबाव कम होता है, हवा के अणु आगे फैलते हैं और तापमान कम हो जाता है. बर्फबारी हो रही हो, तो अणु धीरे-धीरे फैलते हैं, जिससे तापमान में ग‍िरावट धीरे-धीरे होती है.

धरती के गर्भ की ओर…
इसका ठीक उल्‍टा होता है, जब आप धरती के गर्भ की ओर जाते हैं. गहराई बढ़ने के साथ तापमान बढ़ता है. इसी वजह से ज्वालामुखी भी आती रहती है. धरती के केंद्र का तापमान इसी वजह से काफी ज्‍यादा होता है. लेकिन हर जगह यह तापमान एक नहीं है. कहीं पर यह बहुत ज्‍यादा है, तो कहीं पर बहुत कम है. शुरुआत में तापमान बढ़ने की औसत दर प्रत्येक 32 मीटर की गइराई पर 1 ड‍िग्री सेल्सियस है. चट्टानें जितनी अधिक गहराई में होंगी, उनके पिघलने का तापमान-बिन्दु उतना ही ऊंचा होगा.

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