गुप्त नवरात्र आज से: तंत्र-मंत्र, जाने क्या है खास, क्यों नही होगी…

माघ शुक्ल पक्ष में गुरुवार से चंद्रदर्शन के साथ ही गुप्त नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है। इसका समापन (महानंदा नवमी) गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी को होगा। इस गुप्त नवरात्र को तंत्र-मंत्र सिद्धि साधना के लिए विशेष माना जाता है। जो साधक तंत्र-मंत्र की सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं। उनके लिए गुप्त नवरात्र के दिन बेहद खास होते हैं।

गुप्त नवरात्र आज से: तंत्र-मंत्र, जाने क्या है खास, क्यों नही होगी...

इसके लिए तंत्र साधक गुप्त स्थान पर रहते हुए देवी के विभिन्न रूपों के साथ ही दस महाविद्याओं की साधना में लीन रहते हैं। साल में दो प्रकट, दो गुप्त नवरात्र मां चामुंडा दरबार के पुजारी पं.रामजीवन दुबे एवं ज्योतिषाचार्य विनोद रावत ने बताया कि साल में चार नवरात्र मनाई जाती है। इन चार नवरात्रियों में दो प्रकट जबकि दो गुप्त रहती हैं। अश्विन एवं चैत्र में प्रगट नवरात्र आती है, जबकि आषाढ़ और माघ में गुप्त नवरात्र मानी जाती है। चारों नवरात्र शुक्ल पक्ष में एकम से नवमी तिथि तक रहती है। इन 9 दिनों में क्रमश: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री माता की आराधना की जाती है। गुप्त नवरात्र में तांत्रिकों के द्वारा देवी की सिद्धि की जाएगी।

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घटकलश स्थापना

स्थिर लगन कुंभ सुबह 8.09 से 9.42 बजे तक, दोपहर वृषभ लगन 12.53 से 2.52 बजे तक, शाम सिंह लगन 7.22 से 9.34 बजे तक गोधूलि सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है

चौघड़ियानुसार

सुबह 6 से 7.30 बजे तक शुभ, सुबह 10.30 से 12 बजे तक चर, दोपहर 12 से 1.30 बजे तक लाभ, दोपहर 1.30 से 3 बजे तक अमृत, शाम 4.30 से 6 बजे तक शुभ, शाम 6 से 7:30 बजे तक अमृत (गोधूलि सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त) एवं शाम 7.30 से रात 9 बजे चर रहेगा।

इस बार अबूझ मुहूर्त में भी नहीं होंगी शादिया

ज्योतिषमठ संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं.विनोद गौतम के मुताबिक इस आषाढ़ एवं माघ की नवरात्र में शादियां होती हैं। इस बार 22 जनवरी को बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त पड़ रहा है। मान्यता है कि अबूझ मुहूर्त किसी भी शुभकार्य के लिए श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक होता है। लेकिन इस बार शुक्र अस्त होने के कारण अबूझ मुहूर्त में भी शादियां नहीं हो पाएंगी। गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, हवन-भागवत एवं अन्य शुभकार्य किए जा सकते हैं। 7 फरवरी से लगातार विवाह मुहूर्त हैं। इसके साथ ही नवरात्र के दौरान 21 जनवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग में विनायकी चतुर्थी, 22 को बसंत पंचमी, 24 को मां नर्मदा जन्मोत्सव का भी विशेष महत्व है। 18 को चंद्र दर्शन, 19 को रवियोग में ओशो महोत्सव, 23 को अमृत सिद्धियोग में षष्ठी भक्त देवनारायण जयंती, 25 को भीमा अष्टमी एवं 26 को रवियोग में महानंदा नवमी मनाया जाएगा।

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