मंगल पर जीवन के सबूत! लेकिन उसे धरती पर लाना आसान नहीं…

धरती के अलावा क्‍या क‍िसी और ग्रह पर जीवन है? अमेर‍िकी स्‍पेस एजेंसी नासा समेत दुनिया भर की अंतर‍िक्ष एजेंसियां इसकी तलाश में जुटी हुई हैं. लेकिन अब एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. NASA का कहना है क‍ि उनके पास मंगल ग्रह की चट्टानों के नमूने हैं, ज‍िनमें जीवन के संकेत मिल सकते हैं, लेकिन इन्‍हें हम धरती पर वापस नहीं ला सकते. क्‍योंक‍ि इस पर काफी पैसा खर्च होना है. इतना पैसा खर्च करने की हमारी कोई योजना नहीं है, इसल‍िए हमने नमूनों को वापस लाने के ल‍िए निजी क्षेत्र की मदद मांगी है.

नासा के अध‍िकाार‍ियों ने बताया क‍ि एजेंसी का पर्सिवेरेंस रोवर तीन साल से अधिक समय से लाल ग्रह की सतह की खोज कर रहा है. उसने मंगल ग्रह की चट्टान और मिट्टी के नमूने जुटा ल‍िए हैं. अब तक की जांच से हमें पूरी उम्‍मीद है क‍ि इसमें जीवन के सबूत छिपे हो सकते हैं. लेकिन इन सबूतों को वापस लाना काफी मुश्क‍िल है. नमूनों को धरती पर लाने के ल‍िए 11 अरब डॉलर खर्च करना होगा. यह तरीका बेहद महंगा और काफी जट‍िल है. इसल‍िए निजी क्षेत्र की मदद मांगी गई है.

पहले क्‍या थी नासा की तैयारी
नासा ने 2020 में पर्सिवेरेंस रोवर लॉन्च किया था. अब एक और रॉकेट भेजने की तैयारी थी, जो 2027 या 2028 में भेजा जाना था. यह रॉकेट मंगल ग्रह से नमूने उठाता और फ‍िर उसकी कक्षा में तब तक घूमता रहता, जब तक क‍ि कोई अन्‍य यान इसे उठाकर धरती पर नहीं ले आता. लेकिन इसी बीच 2022 में नासा के बजट में कटौती कर दी गई और उसकी योजना धरी की धरी रह गई. यह देखते हुए नासा ने कई निजी कंपन‍ियों से इन नमूनों को धरती पर वापस लाने के ल‍िए मदद देने को कहा है. कुछ उपाय तलाशने को भी कहा है, ताक‍ि कम खर्च और कम समय में इसे धरती पर लाया जा सके.

ज्‍यादा समय और धन खर्च होगा
नासा के अध‍िकार‍ियों ने कहा, अगर हम पुराने तरीके से इसे वापस लाने की कोश‍िश करते हैं तो ज्‍यादा समय और धन खर्च होगा. लेकिन नई तकनीक इन दोनों चीजों को बचा सकती है. ऐसी एजेंसियां जो किसी दूर के ग्रह या चंद्रमा की सतह पर उतरी हों, वे इस बारे में हमारी मदद कर सकती हैं. हो सकता है क‍ि उनका प्रयोग सस्‍ता और कम जोख‍िम भरा हो. नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय निकी फॉक्स ने कहा, चुनौती यह है कि नासा ने कभी भी किसी अंतरिक्ष यान को किसी अन्य ग्रह पर नहीं उतारा है और फिर उसे दोबारा उड़ान भरनी पड़ी है. इसल‍िए हम उनकी मदद चाहते हैं, जो वहां पहुंचकर फ‍िर लौटे हों.

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