बसपा नेता शहजाद पर भाजपा ने डाले ‘डोरे’, बनाई यह रणनीति

बसपा नेता मो.शहजाद के घर शनिवार को ‘भाजपा सरकार’ मौजूद थी। बहाना भले ही शादी-ब्याह का था, लेकिन कहीं और भी निशाना था। ऐसे में लोकसभा चुनाव के लिए हर तरह की रणनीति बुन रही भाजपा के शहजाद पर डोरे डालने के प्रयास छिपे नहीं रह गए हैं।

भाजपा अब शहजाद से जुड़ी जिस बात पर फोकस कर रही है, वह उनके अब बसपा के हार्डकोर नेता न रह जाने की है। दो बार शहजाद बसपा से निष्कासित हो चुके हैं। माना जा रहा है कि लोस चुनाव में हरिद्वार सीट से जुड़ी रणनीति के एक हिस्से में भाजपा ने शहजाद को भी रखा है। आने वाले दिनों में तस्वीर क्या बनती है, यह अलग बात है, लेकिन भाजपा के सियासी मंसूबे कुछ साफ से हो रहे हैं।

दरअसल, यह छिपा हुआ तथ्य नहीं है कि कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक और शहजाद की हमेशा से मित्रता रही है। फिर चाहे वह बसपा में रहे हों या वहां से निष्कासित।

सीएम और कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत को शहजाद के घर लेकर गए मदन

कौशिक अपने साथ शनिवार को जिस तरह से सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत को शहजाद के घर लेकर गए, उसे राजनीति के जानकार बहुत सामान्य नहीं मान रहे हैं।

एक जमाने में हरिद्वार जिले में बसपा विधानसभा की आठ सीटें जीतकर अपनी ताकत का अहसास करा चुकी है। बसपा के बडे़ नेताओं की हरिद्वार में बात करें, तो शहजाद का नाम प्रमुखता से आज भी इनमें शुमार है। इसलिए बसपा को कमजोर करने या फिर भाजपा को मजबूत करने की कवायद के बीच में शहजाद की एक अलग भूमिका निकलकर आती है। 

पूरी तस्वीर का एक पहलू और भी है। हरिद्वार लोस सीट के लिए उम्मीदवार बतौर मदन कौशिक का नाम भी उभरता रहा है। संजय गुप्ता, यतीश्वरानंद जैसे विधायक कौशिक के सीधे तौर पर खिलाफ हैं। आज तो इन दोनों ही विधायकों ने सरकार पर अपने-अपने अंदाज में हमले भी किए हैं। सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो रही कि इन हालात में शहजाद को अपने पाले में खींचकर एक तीर से कई निशाने साधने की राह पर भी कौशिक आगे बढ़ सकते हैं। 

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