सीएम कमलनाथ ने अपने मंत्रियों के लिए जारी किए अनौपचारिक दिशा-निर्देश

कमलनाथ सरकार में मंत्रियों के लिए मुख्यमंत्री ने अनौपचारिक गाइडलाइन जारी की है. इसे मंत्रियों के लिए को़ड ऑफ कंडक्ट नाम दिया गया है. वैसे तो इसमें कई सारे नियम हैं जो मंत्रियों के लिए बनाए गए हैं. लेकिन मंत्रियों को मीडिया से संभलकर रहने की सलाह ने विवाद खड़ा कर दिया है. कांग्रेस जहां एक तरफ इसे अनुशासन बता रही है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसकी कड़ी आलोचना की है.सीएम कमलनाथ ने अपने मंत्रियों के लिए जारी किए अनौपचारिक दिशा-निर्देश

मध्य प्रदेश में 15 सालों के बाद सत्ता में आई कांग्रेस लगता है अपने मंत्रियों के बयानों और व्यवहार की वजह से विवादों में नहीं आना चाहती. शायद यही वजह है कि कमलनाथ सरकार ने अपने सभी मंत्रियों के लिए अनौपचारिक दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इस गाइडलाइन में मंत्रियों को कई तरह की सलाह दी गई है. मसलन वो जनता, पत्रकार, सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों या सार्वजनिक कार्यक्रमों और जगहों में किस तरह का व्यवहार करें. लेकिन इसी गाइडलाइन में मंत्रियों को ये भी सलाह दी गई है कि पत्रकारों से संभलकर रहें.

मंत्रियों के लिए दिशा-निर्देश

इस अनौपचारिक गाइडलाइन में मंत्रियों को कहा गया है कि पत्रकार आजकल अपने मोबाइल कैमरों से ही बातचीत और बयान रिकॉर्ड कर लेते हैं. इसलिए मोबाइल की मौजूदगी में ध्यान से बातचीत करें. मंत्रियों से कहा गया है कि संवेदनशील मामलों में निजी राय देने से बचें. आपका बयान विवाद पैदा कर सकता है. मीडिया और विरोधी दल को ऐसे अवसरों की तलाश रहती है. इसमें यह भी कहा गया है कि पत्रकारों से केवल अपने ही या स्टाफ के फोन से बात करें क्योंकि कई फोन में ऑटोमेटिक रिकॉर्डिंग होती है जिसका बाद में दुरुपयोग किया जा सकता है. पत्रकारों से जब भी मिलें अलग से मिलें. कार्यकर्ताओं या अधिकारियों-कर्मचारियों के सामने पत्रकारों से ना मिलें.

सरकार के जनसंपर्क मंत्री ने इस गाइडलाइन को मुख्यमंत्री कमलनाथ का अनुशासन बताया है. उनका कहना है कि ट्रेन सीधी पटरी पर चलती है तब तक ठीक रहती है वर्ना दुर्घटना हो जाती है. मंत्री पीसी शर्मा ने ‘आजतज’ से कहा, ‘कमलनाथ जी हमारे मुखिया हैं और उनको ऐसा लगता है कि और पॉजिटिव होना चाहिए क्योंकि उनकी खुद की कार्यशैली बहुत ही साफ है. वह किसी तरह के विवाद में नहीं पड़ते. अनुशासन जैसा उनमें है वैसा सब में हो. पत्रकारों से खौफ नहीं है, लेकिन लेकिन पत्रकारों से संभल कर बात करें यह तो आपका सम्मान बढ़ाया है. ऐसी कोई बात ना हो जिससे गलत संदेश जाए. हम बस चाहते हैं कि जनता के बीच में अच्छी छवि रहे. रेलगाड़ी सीधे-सीधे चले अगर अगर इधर उधर होगी तो एक्सीडेंट हो जाएगा.’

मंत्रियों को जारी गाइडलाइन में इस बात का भी जिक्र है कि उन्हे संभलकर बयान देना है. सार्वजनिक जगहों पर मर्यादा में रहना है और वहां अपराधिक प्रवृत्तियों के व्यक्तियों के साथ मंच साझा नहीं करना है. कैमरे पर बयान देते वक्त भाषा का ध्यान रखें और कम शब्दों में अपनी बात रखें. इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी बिना सच जाने पोस्ट करने या उसे फॉरवर्ड करने से बचने की सलाह दी गई है.

बीजेपी ने साधा निशाना

वहीं बीजेपी ने मंत्रियों के लिए जारी गाइडलाइन पर सरकार को आड़े हाथों लिया है. शिवराज सरकार में मंत्री रहे उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि उनकी सरकार में ऐसी कोई रोक नहीं थी. सरकार जब गलत नहीं है तो मीडिया से बात करने में क्यों कतराना. गुप्ता ने कहा, ‘यह जो बातें कही गई हैं कहीं ना कहीं तो पारदर्शिता सरकार में होनी चाहिए. उसे रोकने की कोशिश की गई है. पत्रकारों पर बात करने से प्रतिबंध लगाना प्रजातंत्र का बहुत बड़ा मखौल है. बिल्कुल तानाशाही रवैया अपनाना चाहते हैं आप जो बोलना चाहते हैं. वही सब बोले या सत्य सत्य को जनता के सामने नहीं आने देना चाहते हैं. आपको अपने मंत्रियों पर भरोसा नहीं है. उनके आचरण पर भरोसा नहीं है. अगर आपका काम पारदर्शी है, कोई भ्रष्ट आचरण नहीं है तो आप मीडिया से क्यों कतराते हैं. बीजेपी में किसी मंत्री को मीडिया से बात करने की रोक नहीं थी बल्कि मुख्यमंत्री खुद कहते थे कि मीडिया के बीच में रहना चाहिए’.

कमलनाथ सरकार में ये कोई पहली बार नहीं है जब मंत्रियों और मीडिया के बीच में दीवार खड़ी की गई हो. इससे पहले भी एक आदेश जारी कर 28 में से सिर्फ 7 मंत्रियों को ही सरकार ने मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत किया था जिस पर काफी विवाद भी हुआ था.

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