प्रोजेक्ट भोग लागू शुद्धता की कसौटी पर परखा जाएगा आस्था से भरा प्रसाद, विक्रेताओं को वितरण के लिए लेना होगा लाइसें

भगवान को लगाया जाने वाले भोग और भक्‍तों में बांटे जाने वाले प्रसाद में कोई गड़बड़ी न हो इसे लेकर सरकार संजीदा हो गई हे। प्रदेश के धार्मिक संस्थानों में भगवान को लगने वाले भोग और भक्तों में बंटने वाले प्रसाद को अब सरकार शुद्धता की कसौटी पर परखेगी।

मंदिर, गुरुद्वारे, मस्जिद या अन्य धार्मिक संस्थानों में बंटने वाले प्रसाद की गुणवत्ता की जांच होगी। इसके लिए प्रदेश सरकार प्रोजेक्ट भोग (ब्लिसफुल हाइजीनिक ऑफरिंग टू गॉड) शुरु करने जा रही है। इसका उद्देश्य भक्तों में बंटने वाला प्रसाद व लंगर सुरक्षित व क्वालिटी से युक्त हो।

इसी कड़ी में अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा सरकार ने प्रदेश के फूड सेफ्टी अधिकारियों, नगर निगम के अधिकारियों व धार्मिंक संस्थानों से जुड़े लोगों की बैठक ली। बैठक में उन्हें प्रसाद, मिठाई व भोजन में प्रयोग होने वाले तेल और दूध सहित खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की जांच के संबंध में दिशा निर्देश दिए हैं।

प्रसाद की गुणवत्ता के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एफएसएसएआइ) के निर्देशन में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त चीफ सेक्रेटरी हरियाणा सरकार ने बैठक में अफसरों को नौ बिंदुओं पर कार्य करने के बारे में दिशा निर्देश दिए हैं। एफएसएसएआइ के मुताबिक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च सहित अन्य धार्मिंक संस्थान अब पंजीकृत होंगे। उन्हें भी लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा।

मुख्यतय प्रसाद बेचने वालों को भविष्य में लाइसेंस देने की योजना बनाई जा रही है। नियम नहीं मानने वालों पर फूड सेफ्टी अधिकारी कार्रवाई कर सकते हैं। हालांकि वे क्या कार्रवाई करेंगे,इस बारे में अभी दिशा निर्देश नहीं दिए केवल उन्हें जागरूकता के बारे में निर्देश दिए गए हैं।

इन 9 प्वाइंटों पर मुख्य सचिव ने अफसरों से की मंत्रणा

-फूड सेफ्टी ट्रेनिंग एंड सर्टिफिकेशन (एफओएसटीएसी)- धार्मिंक संस्थानों में प्रसाद व भोजन बनाने वालों को उसकी गुणवत्ता में सुधार व उनके बारे में दिया जाएगा प्रशिक्षण।

– प्रोजेक्ट भोग – भक्तों को बेहतर क्वालिटी का प्रसाद मिले इसके लिए उसकी जांच होगी।

– हलवाई/कैटरिंग शॉप और रेस्टोरेंट हाइजीनिक रेटिंग – हलवाई व कैटरिंग वाले सामान को साफ-सफाई के बारे में अधिकारी उन्हें दिशा निर्देश देंगे।

-मीट शॉप/स्लाटर हाउस – मीट की दुकान संचालकों को निगम से लेनी होगी एनओसी। बनवाने होंगे लाइसेंस।

– रिप्रपोज्ड यूजर्ड कुकिंग ऑयल (आरयूसीओ) – प्रसाद बनाने में प्रयोग होने वाला तेल को निर्धारित समय अवधी के बाद प्रयोग नहीं कर सकते। उनकी जांच के आदेश।

– फूड लाइसेंस एंड रजिस्ट्रेशन – प्रसाद व भोजन वितरण वालों को करवाना होगा पंजीकरण।

– फूड सेफ्टी कंप्लेंस विद रेगूलर इस्पेक्शन एंड सैम्पलिंग (एफओएससीओआरआइएस) – फूड सेफ्टी ऑफिसर मिठाइयों व अन्य खाद्य सामग्री के सैंपल लेंगे।

– मिल्क सर्वे – दूध में पानी की मिलावट न हो इसके लिए संबंधित अधिकारी को उसके सैंपल लेकर जांच करनी होगी।

-फूड सैंपलिंग टारगेट – खाद्य सामग्री की गुणवत्ता बरकरार रहे और सुरक्षा के मद्देनजर उनके समय समय पर सैंपलिग करनी अनिवार्य है।

—-जनता प्रसाद व भोजन के बारे में जागरूक हो। इसके लिए चुनाव के बाद प्रोजेक्ट भोग सिरे चढ़ाया जाएगा। भोजन व प्रसाद की गुणवत्ता में और सुधार के लिए उन्हें अवेयरनेस प्रोग्राम चलाएंगे, जिसमें उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

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