महाराष्ट्र: कोई नहीं समझ पाया अजित पवार का ये बड़ा गेम, और बन गए…

महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सीएम बनने के अरमानों पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पानी फेर दिया है. अजित पवार ने एनसीपी को तोड़कर नया सियासी गेम बनाया है. देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर सीएम बने हैं और अजित पवार ने डिप्टी सीएम के पद की शपथ ली है.

महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने के लिए मंथन कर रही थी . सरकार बनाने का फॉर्मूला भी तीनों के बीच तय हो गया था. माना जा रहा था कि शनिवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से तीनों दल मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. इन सबके बीच किंगमेकर बनकर उभरे शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने रातोरात ऐसा सियासी गेम किया कि महाराष्ट्र की सियासी गेम ही पलट गया.

एनसीपी का समर्थन नहीं: शरद पवार

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अजित पवार एनसीपी विधायक दल के नेता हैं. ऐसे में विधायक दलों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र भी उन्हीं के पास था. ऐसे में उन्होंने शरद पवार सहित तमाम एनसीपी नेताओं को पीछे छोड़ते हुए बीजेपी को समर्थन देने का फैसला किया है.  बता दें कि आधिकारिक तौर पर विधायक दल के नेता का समर्थन पत्र ही मान्य होता है.

अजित पवार के इस फैसले के बाद शरद पवार ने कहा कि ये एनसीपी का समर्थन नहीं है. इससे हमारा लेना-देना कोई नहीं है. इसका मतलब साफ है कि अजित पवार ने एनसीपी के विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिला लिया है. वहीं, कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा कि यह बहुत बड़ी साजिश है, जिसे गुप्त रखा गया था.

पत्र का दुरुपयोग

एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि विधायकों के पत्र का गलत इस्तेमाल हुआ. समर्थक विधायकों की चिट्ठी का अजित पवार ने गलत इस्तेमाल किया.

लोगों की समस्या के लिए साथ आएं: अजित पवार

एनसीपी से बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने क बाद अजित पवार ने कहा ‌कि हम लोगों की समस्या के लिए साथ आए हैं. हम किसानों की समस्या को खत्म करना चाहते हैं. उनकी भलाई के लिए ही सरकार में आए हैं. उन्होंने कहा कि लोगों ने जिसे सरकार बनाने के लिए चुना था. उन्हीं को सरकार बनानी भी चाहिए. इसका मतलब साफ है कि बीजेपी को महाराष्ट्र के लोगों ने सरकार के लिए चुना था और उसी की सरकार बननी चाहिए.

इससे यह बात साबित हो गई है कि एनसीपी पर अजित पवार की पकड़ शरद पवार से ज्यादा है. यही वजह है कि उन्होंने एनसीपी के करीब 22 से 25 विधायकों को अपने साथ मिलाकर सरकार बनाने का कदम उठाया है. पवार के इस कदम से शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार बनाने के अरमानों पर पानी फिर गया है.

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