बच्चों से कुकर्म के मामले में जुल्फिकार पर आरोप तय

zulfikar-55a61204eafb8_exlst-300x224पंजाब: नाबालिग बच्चों से कुकर्म के आरोपी ‘थियेटर एज’ एनजीओ के संचालक और डायरेक्टर जुल्फिकार खान के खिलाफ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने आरोप तय कर दिए हैं।

जुल्फिकार के खिलाफ अप्राकृतिक यौन शोषण, अश्लील कृत्य, धमकाने व पोक्सो एक्ट की धारा 6 व 14 के तहत केस चलाया जाएगा। 18 नवंबर से केस का ट्रायल शुरू होगा। वहीं एक नाबालिग पीड़ित की ओर से कोर्ट में दायर अर्जी को आधार बनाते हुए बचाव पक्ष की अपील को भी अदालत ने खारिज कर दिया।

इसमें बचाव पक्ष ने अर्जी के आधार पर जुल्फिकार पर लगे आरोपों को खारिज करने की अपील की थी। बता दें कि पुलिस ने आरोपी के खिलाफ 8 सितंबर को कोर्ट में चालान पेश किया था।

सोमवार को अदालत में जुल्फिकार के खिलाफ आरोप तय करने से पहले नाबालिग पीड़ित की अर्जी पर सुनवाई हुई। इस अर्जी में शिकायतकर्ता नाबालिग ने कहा था कि पुलिस ने इस मामले में कभी उसके बयान नहीं लिए हैं।

साथ ही पुलिस ने जो आपत्तिजनक तस्वीरें पेश की हैं उनमें भी वह नहीं है। इसके अलावा जुल्फिकार ने कभी उससे कुकर्म नहीं किया। बचाव पक्ष ने इस अर्जी को आधार बनाते हुए जुल्फिकार को आरोपमुक्त करने की अपील की थी।

 

इस पर सरकारी वकील जेपी सिंह ने अदालत में इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पीड़ित के 161 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज हैं। आरोपी के खिलाफ फोटो और अन्य पुख्ता सबूत कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं।

केवल एक नाबालिग शिकायतकर्ता की अर्जी के आधार पर जुल्फिकार को आरोपमुक्त नहीं किया जा सकता है। सरकारी वकील के अनुसार आरोपी अभी जेल में है और वहीं से शिकायतकर्ताओं को डरा धमकाकर शिकायत वापस लेने के लिए मजबूर करवा रहा है।

ऐसे में अगर कोर्ट ने उसे आरोपमुक्त कर दिया तो बाहर आकर वह अन्य शिकायतकर्ताओं के लिए खतरा बन सकता है। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि कुछ दिनों पहले ही पीड़ितों को आरोपी के भतीजे और अन्य लोगों से शिकायत वापस लेने के लिए धमकियां मिलने की जानकारी दी।

साथ ही कहा कि पीड़ितों ने इसके लिए आईजी यूटी पुलिस को पत्र भेजकर सुरक्षा मांगी है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए विशेष रूप से टिप्पणी की कि एक पीड़ित के शिकायत वापस लेने पर उसे आरोपमुक्त नहीं किया जा सकता। इस मामले में अभी भी चार शिकायतकर्ता अपनी शिकायत पर कायम हैं।

 

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