पढ़ाई शुरू करने से पहले क्यों किया जाता है विद्यारंभ संस्कार? जानें इसके बारे में सबकुछ

हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का उल्लेख किया गया है। इन सभी संस्कारों का विशेष महत्व है। इनमें से एक संस्कार है विद्यारंभ संस्कार। यह संस्कार किसी भी शुभ दिन करना चाहिए। इस संस्कार के बारे में ग्रंथों में विस्तारपूर्वक उल्लेख किया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर क्यों विद्यारंभ संस्कार किया जाता है।

इसलिए किया जाता है विद्यारंभ संस्कार
जब बच्चा शिक्षा ग्रहण करने के लिए तैयार होता है, तो पढ़ाई की शुरुआत करने से पहले विद्यारंभ संस्कार जरूर किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि विद्यारंभ संस्कार करने से बच्चे में कई तरह के बदलाव आते हैं। अगर आप अपने बच्चे का विद्यारंभ संस्कार कर रहे हैं, तो ऐसे में सबसे पहले मां सरस्वती, भगवान गणेश और गुरु की पूजा-अर्चना करें।

कब करें विद्यारंभ संस्कार?
शास्त्रों और वेदों में विद्यारंभ संस्कार करने के लिए सही उम्र 5 वर्ष बताई गई है। विद्यारंभ संस्कार करने के लिए सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार और बंसत पंचमी के पर्व को शुभ माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चन्द्र और तारा दोष से मुक्त होने पर विद्यारंभ संस्कार करना चाहिए।

अगर आप अपने बच्चे का विद्यारंभ संस्कार करना चाहते हैं, तो द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्टी, दशमी, एकादशी, द्वादशी तिथि पर कर सकते हैं। इन तिथि पर विद्यारंभ संस्कार करना शुभ माना जाता है।

विद्यारंभ संस्कार का महत्व
मां सरस्वती को ज्ञान, विद्या, कला और संगीत की देवी माना गया है। विद्यारंभ संस्कार के द्वारा बच्चे को पढ़ाई के प्रति उत्साहित किया जाता है। इस संस्कार को करने से बच्चा बड़ा होकर आदर्श और सभ्य बनता है।

विद्यारंभ संस्कार में इन मंत्र का करें जाप
गणपति पूजा मंत्र – ॐ गणानां त्वा गणपति हवामहे, प्रियाणां त्वा प्रियपति हवामहे, निधीनां त्वा निधिपति हवामहे, वसोमम। आहमजानि गभर्धमात्वमजासि गभर्धम्। ॐ गणपतये नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि॥

सरस्वती पूजा मंत्र – ॐ पावका नः सरस्वती, वाजेभिवार्जिनीवती। यज्ञं वष्टुधियावसुः।

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