राजा दक्ष को क्यों लगाया था भगवान शंकर ने बकरे का सिर? यहां जानिए पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी महिमा का गुणगान वेदों में पढ़ने को मिलता है। एक समय की बात है राजा दक्ष ने शिव जी का अपमान करने के लिए एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया है। उस यज्ञ में उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया, क्योंकि वे उन्हें नहीं पसंद करते थे। शिव की महिमा से अंजान दक्ष ने यह कदम उठाया था। हालांकि न बुलाने के बाद देवी सती अपने पिता यानी दक्ष प्रजापति के इस अनुष्ठान में पहुंच गई, और दक्ष द्वारा शिव जी का अपमान होने पर उन्होंने उसी यज्ञ में खुदको आत्मदाह कर लिया।

इसके बाद शिव जी ने क्रोध में आकर राजा दक्ष का सिर काट दिया। हालांकि बाद में देवताओं के अनुरोध करने पर उन्होंने राजा दक्ष को जीवनदान दिया और उनके शरीर पर बकरे का सिर लगा दिया।

आखिर दक्ष प्रजापति को भोलेनाथ ने क्यों लगाया बकरे का सिर?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शंकर ने प्रार्थना करने पर राजा दक्ष के लिए बकरे का सिर मंगाया, इसपर ब्रह्मा जी ने सवाल किया कि आखिर बकरे का सिर ही क्यों? हाथी, शेर, या किसी अन्य प्राणी का क्यों नहीं ? इसका जवाब देते हुए शिव जी ने कहा कि नन्दीश्वर ने दक्ष को यह श्राप दिया था कि अगले जन्म में वह बकरा बनेगा। इसलिए उन्होंने बकरे का सिर मंगाया और दक्ष के शरीर में जोड़कर उसे जीवित कर दिया।

इसके बाद दक्ष को अपनी गलती का एहसास हुआ और उनका घमंड हमेशा – हमेशा के लिए समाप्त हो गया। फिर उन्होंने देवों के देव महादेव से क्षमायाचना की।

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