इस जगह आज भी मौजूद है यमलोक का दरवाजा, जाने पूरा रहस्य
देवभूमि हिमाचल अपने पर्यटक स्थलों के लिए जितना मशहूर है, उतना ही मंदिरों और देवी देवताओं के लिए भी मशहूर हैं हिमाचल के सबसे मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक कुल्लू में यमपुरी का द्वार विद्यमान है। धरोहर गांव नग्गर से करीब 3 किमी दूर मशाड़ा गांव में यमलोग का ये दरवाजा देवी कैलाशिनी माता मंदिर में मौजूद है।
मैदान में एक धंसी हुई जगह के रूप दिखता है दरवाजा: इस दरवाजे को मैदान में एक धंसी हुई जगह के रूप में देखा जा सकता है। इस जगह पर कितनी भी मिट्टी व पत्थर डालकर इसे समतल किया जाए तो भी यमलोक के द्वार के नाम से विख्यात यह थोड़ा हिस्सा धंसा ही रहेगा। बुजुर्ग बताते हैं कि पूर्व में कई बार इस जगह पर देवलुओं ने मिट्टी डालकर जगह को समतल करने का प्रयास किया लेकिन मैदान का थोड़ा-सा हिस्सा कभी समतल हुआ ही नहीं। इस जगह को स्थानीय लोग जोंपरी रा द्वार के नाम से पुकारते हैं। स्थानीय बोली में यमपुरी को जोंपरी कहते हैं। कई बार देवी किसी बात पर नाराज होती हैं तो वह भी लोगों को चेताती हैं कि सुधर जाओ अन्यथा मैं जोंपरी का द्वार खोल दूंगी। हालांकि मानव गलती का पुतला है और कई बार छोटी-मोटी गलतियां हो भी जाती हैं। ऐसे में देवी की चेतावनी के बाद लोग सही रास्ते पर आ जाते हैं और देवी के आदेशानुसार ही कार्य करते हैं।
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यहां सुनाई देती हैं अजीब आवाजें : यमपुरी के द्वार के नाम से विख्यात इस जगह को लेकर लोग बताते हैं कि इस जगह पर यदि कान लगाकर शांत माहौल में सुनने का प्रयास किया जाए तो अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। कई बार चीखने-चिल्लाने तो कई बार डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं। ग्रामीण बताते हैं कि हमने और हमारे पूर्वजों ने इस जगह को कई बार समतल करने का प्रयास किया। इसके लिए मैदान में मिट्टी भी डाली गई। बाकी जगह तो समतल हुई लेकिन यमपुरी के द्वार वाले स्थान पर मिट्टी की परत धंस जाती है और दोबारा वो द्वार नजर आने लगता है।
यमपुरी के द्वार के नाम से विख्यात इस जगह पर लोगों के आने-जाने की मनाही है। इस जगह पर कभी पूजा-अर्चना भी नहीं की जाती है। जब देवी का रथ माता कैलाशिनी मंदिर में आता है तो इस जगह पर सिर्फ देवी का रथ जाता है और पुजारी घंटी की आवाज के माध्यम से देवी की मौजूदगी को दर्शाते हैं। लोग बताते हैं कि देवी की कृपा से ही स्थिति ऐसी है कि यहां सिर्फ मिट्टी धंसती है लेकिन यह दरवाजा खुलता नहीं।
देवी त्रिपुरा सुंदरी ही देवी कैलाशिनी हैं। त्रिपुरा सुंदरी के रूप में देवी नग्गर में विराजमान हैं तो देवी कैलाशिनी के रूप में मशाड़ा में विराजमान हैं। देवी कैलाशिनी का अपना कोई देवरथ नहीं है। देवी त्रिपुरा सुंदरी के रथ में ही देवी कैलाशिनी का भी वास है। देवी के कारदार जोङ्क्षगद्र आचार्य बताते हैं कि माता द्वारा यमपुरी का द्वार खोलने की चेतावनी को लोग गंभीरता से लेते हैं। माना जाता है कि यदि देवी ने सच में इस दरवाजे को खोल दिया तो इलाके में जानमाल का भारी नुक्सान हो सकता है। इसलिए इस चेतावनी को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं कर सकते।