69000 शिक्षक भर्ती को लेकरमें सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 60 से 65 ही रहेगा कटऑफ

उत्तर प्रदेश शिक्षा मित्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के मौजूदा कट ऑफ को सही बताया है. कोर्ट का कहना है कि कट ऑफ 60 से 65 ही रहेगा. शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि सभी शिक्षा मित्रों को एक मौका और मिलेगा.

उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामला पिछले दो साल से अधर में लटका हुआ था, जिसके चलते हजारों अभ्यर्थियों के सरकारी नौकरी के सपनों पर ग्रहण लगा रहा. अभ्यर्थी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं और हर रोज एक मोड़ सामने आ रहा है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा को उत्तर प्रदेश का व्यापम घोटाला तक बता दिया था. 

इसके बाद 69000 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में 12 अक्टूबर को बेसिक शिक्षा विभाग ने 31661 अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी की थी. सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल की ओर से जारी सूची के आधार पर कहा गया था कि आगे की भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी होगी. 

उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती के तहत 31,277 चयनित शिक्षकों की काउंसलिंग प्रक्र‍िया हो चुकी है. 31 अक्टूबर तक स्कूल आवंटन पूरा हो गया. इसी महीने से चयनित शिक्षकों को स्कूल मिलने की बात कही गई थी. इसमें सबसे पहले 322 दिव्यांग महिला और 605 पुरुष उम्मीदवारों को स्कूल आवंटित किया जाएगा. काउंसलिंग 26 से 28 अक्टूबर तक हुई. 29 से 30 अक्टूबर तक स्कूल आवंटन प्रक्रिया की गई. कई शिक्षक 31 अक्टूबर से नवंबर तक कार्यभार संभालने के क्रम में हैं. दिसंबर, 2018 में उत्तर प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार ने सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली.

उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक पदों के लिए 6 जनवरी 2019 को करीब चार लाख अभ्यार्थियों ने लिखित परीक्षा में हिस्सा लिया. एक दिन बाद सरकार की तरफ से कट ऑफ मार्क्स का मानक तय कर दिया.

शिक्षक भर्ती की परीक्षा का पेपर 150 नंबर का था. परीक्षा में पास होने के लिए सामान्य वर्ग के कैंडिडेट को 150 में से 97 और आरक्षित वर्ग से आने वाले अभ्यर्थी को 150 में से 90 नंबर लाने थे. सामान्य वर्ग के कैंडिडेट के लिए 65 प्रतिशत और आरक्षित कैंडिडेट के लिए 60 प्रतिशत कट ऑफ तय किया गया था.

उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा से पहले 68500 पदों के लिए सहायक अध्यापकों की भर्ती परीक्षा हुई थी, जिसमें पास होने के लिए आरक्षित वर्ग के लिए 40 और सामान्य वर्ग के 45 प्रतिशत का कट ऑफ तय किया गया था, जिसे इस बार बढ़ाकर सामान्य वर्ग के लिए 65 और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसदी कर दिया गया.

शिक्षक भर्ती परीक्षा के 60-65 प्रतिशत कट ऑफ पर कुछ अभ्यर्थियों को असंतोष हुआ. शिक्षक भर्ती मामले में दो गुट सामने आए, जिनमें एक शिक्षामित्रों और दूसरा बीएड-बीटीसी वालों का ग्रुप था. शिक्षामित्र 60-65 प्रतिशत कट ऑफ का विरोध करते हुए हाईकोर्ट चले गए.

शिक्षामित्रों के मामले पर 11 जनवरी, 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अपना फैसला सुनाया. योगी सरकार हाईकोर्ट में हार गई. हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती की कट ऑफ को सामान्य वर्ग के लिए 45 और आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी तय कर दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के 40-45 कट ऑफ के ऑर्डर के खिलाफ 22 मई, 2019 को योगी सरकार ने डिविजन बेंच में अपील की. बीएड और बीटीसी वाले कैंडिडेट्स ने भी सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी.

हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर 22 मई से 19 सितंबर 2019 तक सात बार सुनवाई हुई. इस बीच एक भी बार यूपी सरकार के महाधिवक्ता हाईकोर्ट नहीं आए. इसे लेकर हाईकोर्ट ने योगी सरकार को फटकार भी लगाई. कोर्ट में महाधिवक्ता को बुलाने की मांग करते हुए अभ्यर्थियों ने लखनऊ में धरना भी दिया. इस दौरान छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसे लेकर काफी सवाल खड़े हुए थे.

हाईकोर्ट में 3 मार्च, 2020 को सुनवाई पूरी हुई थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था. 6 मई, 2020 को जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस करुणेश सिंह पवार की बेंच ने फैसला सुनाया.

हाईकोर्ट ने योगी सरकार को राहत देते हुए सरकार द्वारा तय किए गए कट ऑफ (90-97) नंबर पर ही भर्ती कराने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भर्ती की प्रक्रिया पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया था.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए बेसिक शिक्षा के 69,000 शिक्षकों की भर्ती के मामले में उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी सफल अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं दी थीं. साथ ही भरोसा भी दिलाया था कि एक हफ्ते के अंदर भर्ती पूरी कर ली जाएगी.

योगी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए काउंसलिंग शुरू कराई. कुछ अभ्यर्थी चार प्रश्नों को गलत बताते हुए फिर कोर्ट चले गए. कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाते हुए 12 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की.

हाईकोर्ट के फैसले से जहां बीएड-बीटीसी कैंडिडेट खुश थे तो वहीं शिक्षामित्रों ने असंतोष जाहिर किया है. हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट शिक्षामित्रों ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती की 3 जून से 6 जून तक होने वाली काउंसलिंग पर रोक लगा दी.

शिक्षक भर्ती मामले में गड़बड़ी के मामले भी सामने आए हैं. कई सामान्य वर्ग के लोग आरक्षित कोटे के तहत आ गए हैं. इसी शिक्षक भर्ती के टॉपरों ने 150 में से 143 अंक अर्जित करके सबको चौंका दिया था. शिक्षक परीक्षा में फर्जीवाड़े मामले में यूपी एसटीएफ और प्रयागराज पुलिस ने छापेमारी कर 8 नकल माफियाओं को गिरफ्तार किया.

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की अपील पर 9 जून 2020 को शिक्षक भर्ती केस में सुनवाई करते हुए 69000 हजार पदों में से 37339 पदों को होल्ड करने का आदेश दिया है. इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से रिपोर्ट मांगी है कि शिक्षामित्रों के कितने अभ्यर्थियों ने अरक्षित वर्ग की 40 और सामान्य वर्ग के 45 फीसदी के कटऑफ पर परीक्षा पास की.

Back to top button