नासा ने बताया, कितना होता है स्पेस का सबसे कम तापमान!

क्या आप जानते हैं कि बाहरी अंतरिक्ष का तापमान क्या होता है. अगर आपने पहले कभी इस सवाल पर पड़ताल की होगी तो आपको पता चला होगा कि यह जानना कोई आसान काम नहीं हैं. और स्पेस में (और कहीं भी) तापमान कई कारकों पर निर्भर होता है. फिर भी कई जगहें हैं जहां तापमान अधिकतम हो सकता है तारों के क्रोड़ आदि या सुपरनोवा के केंद्र जैसी जगह इनमें शामिल हैं. लेकिन वहीं इस पर बहस होती है कि न्यूनतम तापमान कितना हो सकता है. लेकिन नासा इसका स्पष्ट उत्तर देता है और इसकी व्याख्या भी करता है.

नासा का कहना है कि बाहरी अंतरिक्ष में तापमान -270 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. पृथ्वी के सतह से 12 हजार मीटर की ऊंचाई पर -50 डिग्री सेल्सियस, पृथ्वी की छाया में बाहरी अंतरिक्ष का तापमान -180 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है. वहीं जब वही इलाका सूर्य की ओर हो तो सका तापमान 122 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है.

नासा का कहना है कि अंतरक्रिया ही अंतरिक्ष को गर्म करती है. लेकिन समस्या यह है कि अंतरिक्ष का अधिकांश हिस्सा पदार्थ से खाली है जिसमें किसी तरह का वायुमंडल नहीं है. वहीं पृथ्वी पर कणों के जरिए संवहन से ऊष्मा का वितरण हो कर तापमान बढ़ता है.

रिकॉर्ड्स के मुताबिक पृथ्वी का सबसे अधिक तापमान 56.7 डिग्री सेल्सियस रहा है. यह 10 जुलाई 1913 को कैलिफोर्निया की डेथ वैली के फर्नेस क्रीक रैंच में रिकॉर्ड किया गया था. दूसरी ओर पृथ्वी का न्यूनतम तापमान -89.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था जो कि 21 जुलाई 1983 को अंटार्कटिका के वोस्तोक स्टेशन में रिकॉर्ड किया गया था.

बाहरी अंतरिक्ष में संवहन की से तापमान नहीं बढ़ता बल्कि वहां तापमान बढ़ाने के लिए ऊष्मीय विकरण होता है जैसा की सूर्य और पृथ्वी के बीच की अंतरक्रिया से होता है. नासा का कहना है कि तापमान की कमी के कारण वह ऊष्मा कायम नहीं रख पाता है. ऊष्मीय विकरित तेजी से विशाल वैक्यूम या निर्वात में गायब हो जाता है. वहीं अंतरिक्ष में कम ऊर्जा वाला विद्युत चुंबकीय विकिरण भी भरा है जिसे कॉस्मिग बैकग्राउंड रेडिएशन कहते हैं. यह स्पेस में वस्तुओं से ऊष्मा अवशोषित कर उन्हें ठंडा करता है. लेकिन यह अवस्था पृथ्वी पर नहीं हो सकती है.

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