इस शुभ मुहूर्त में करें मां कूष्मांडा की पूजा एवं साधना

चैत्र नवरात्र का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित होता है। इस दिन विधि विधान से मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा हैं। ममतामयी मां कूष्मांडा की महिमा बेहद निराली हैं। अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। वहीं, दुराचारी और दुष्टों का क्षण में नाश या वध करती हैं। धर्म स्थापना हेतु जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा नवरात्र के दौरान भूलोक पर आती हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव चैत्र नवरात्र के नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं। धार्मिक मत है कि मां कूष्मांडा की पूजा करने से साधक को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी मां कूष्मांडा की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो इस शुभ मुहूर्त में देवी मां की पूजा एवं साधना करें। आइए जानते हैं-

शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्र की चतुर्थी तिथि 11 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 12 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद पंचमी तिथि शुरू होगी। साधक दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक मां कूष्मांडा की पूजा एवं साधना कर सकते हैं।

शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के चौथे दिन मंगलकारी सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग 13 अप्रैल को देर रात 02 बजकर 13 मिनट तक है। इसके साथ ही चैत्र नवरात्र के चौथे दिन भद्रावास योग भी है। इस योग का निर्माण दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक है। इस समय में मां कूष्मांडा की पूजा-उपासना करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 59 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 45 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 19 मिनट पर

चंद्रास्त- देर रात 11 बजे

पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 14 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 44 मिनट से 07 बजकर 07 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक

अशुभ समय
राहु काल – सुबह 10 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 22 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 07 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 10 मिनट तक

दिशा शूल – पश्चिम

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