महिलाओं के केश पर भूल से न डालें हाथ, हो जाएगा वंश का नाश…जाने रहस्य
हिंदू शास्त्रों में महिलाओं के बालों से संबंधित बहुत से वृतांत मिलते हैं। केश महिलाओं का श्रृंगार होते हैं जो उनकी खूबसूरती को बयां करते हैं। किसी खास अवसर पर ही महिलाएं बाल खोलती थीं, अधिकतर उन्हें बांध कर रखा जाता था क्योंकि खुले बाल शोक की निशानी माने जाते थे।
आज भी हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम होने जा रहा हो तो महिलाएं अपने बाल व्यवस्थित रूप से बांध कर रखती हैंं। मंदिर में भी खुले बाल रखना अशुभ माना जाता है। जो लड़कियां फैशन की आड़ में बालों को खुला रखती है उन पर नकारात्मक शक्तियां अपना प्रभाव शीघ्र डालती हैं।
खासतौर पर जब चन्द्रमा की कलाएं घटती हैं, उस दौरान मन अत्यधिक भावुक होता है तो ऊपरी बाधाएं आसानी से अपना बसेरा बना लेती हैं। रात को बिस्तर पर लेटते ही बहुत सी महिलाओं की आदत होती है बंधे बालों को खोल देती हैं। फिर सोती हैं। पुराणों के अनुसार इससे व्यक्तित्व पर द्वेषपूर्ण प्रभाव पड़ता है। निगेटिव ऊर्जा सक्रिय हो जाती है। अत: प्रतिदिन सोने से पूर्व बालों को बांध लें।
पत्नियों को याद रखनी चाहिए ये 4 बातें, वरना पड़ेगा महंगा
रामायण में बताया गया है, जब देवी सीता का श्रीराम से विवाह होने वाला था, उस समय उनकी माता सुनयना ने उनके बाल बांधते हुए उनसे कहा था, विवाह उपरांत सदा अपने केश बांध कर रखना। बंधे बाल बंधन में रहना सिखाते हैं। केवल एकांत में अपने पति के लिए इन्हें खोलना। जब रावण देवी सीता का हरण करता है तो उन्हें केशों से पकड़ कर अपने पुष्पक विमान में पटकता है। अत: उसका और उसके वंश का नाश हो गया।
महाभारत युद्ध से पूर्व कौरवों ने द्रौपदी के बालों पर हाथ डाला था, उनका कोई भी अंश जीवित न रहा। कंस ने देवकी की आठवीं संतान को जब बालों से पटक कर मारना चाहा तो वह उसके हाथों से निकल कर महामाया के रूप में अवतरित हुई। कंस ने भी अबला के बालों पर हाथ डाला तो उसके भी संपूर्ण राज-कुल का नाश हो गया।