Cannes Film Festival 2018 में आज दिखाई जाएगी 14 प्रतिभाशाली बच्चों की ‘दिल्ली ड्रीम्स’
नई दिल्ली। हुनर के पंख हों तो कामयाबी की उड़ान तय है। इस पर हुनर के पारखी का साथ मिल जाए तो सोने पे सुहागा। इसकी ताजा मिसाल दिल्ली की झुग्गियों के बच्चों ने दी है और इनकी मदद की स्माइल फाउंडेशन और यूनाइटेड किंगडम की फिल्म विदाउट बार्डर्स संस्था ने।
दरअसल, 14 स्लम बच्चों द्वारा तैयार की गई लघु फिल्म ‘दिल्ली ड्रीम्स’ का बुधवार को फ्रांस में चल रहे कांस फिल्म फेस्टिवल-2018 में प्रदर्शन किया जाएगा। यह फिल्म पांच स्लम बच्चों के जीवन और उनके अथक प्रयासों से मिली सफलता पर आधारित है। इसके निर्माण में स्माइल फाउंडेशन व यूके की फिल्म विदाउट बार्डर्स संस्था ने सहयोग दिया है।
दोनों संस्थाओं ने मिलकर लघु फिल्म के लिए ऑडिशन लिया और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के आसपास की झुग्गी-बस्तियों के 14 प्रतिभाशाली बच्चों का चयन किया। फिर प्रतिभा के धनी जिल सैमुअल्स व पुरस्कार विजेता फोटोग्राफर रिचर्ड ब्लांशार्ड ने बच्चों को भारत में ही प्रशिक्षित करके उनकी प्रतिभा को निखारा, जिसमें ‘दिल्ली ड्रीम्स’ जैसी फिल्म निकल कर आई।
इन्हीं 14 बच्चों में से रोशनी, शिखा, अरबाज, भारत व मुर्शीद वे बच्चे हैं, जिनके जीवन और सपनों को इस फिल्म में चित्रित किया गया है। अरबाज ने बताया कि, ‘यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह हर वंचित बच्चे का सपना है, जो नाम और प्रसिद्धि पाना चाहता है।
हमने इस फिल्म को बनाने में अपना सौ फीसद दिया। हम सबको विश्वास है कि दर्शकों को हमारा काम पसंद आएगा। मैं उत्साहित हूं कि हमारी फिल्म कांस जैसे बड़े मंच पर प्रदर्शित की जाएगी।’ कक्षा 10 के छात्र अरबाज, भविष्य में मशहूर फोटोग्राफर बनना चाहते हैं।
उनके पिता ताहिर हुसैन पेशे से कारीगर हैं और मां असमा खातून गृहिणी। स्माइल फाउंडेशन के कार्यकारी ट्रस्टी शांतनु मिश्र ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि यह लघु फिल्म इन बच्चों के अथक प्रयासों की परिणति है। लघु फिल्म की स्क्रिप्टिंग, स्क्रीनप्ले, एक्टिंग, डॉयरेक्शन व सिनेमेटोग्राफी इन्हीं बच्चों ने की है। स्लम के बच्चों में प्रतिभा कमाल की है। बस उन्हें एक मौके की दरकार होती है।