जीभ में भाला घुसाकर भक्तों ने किया मां विंध्यवासिनी का दर्शन

चैत्र नवरात्रि के नवमी तिथि को लाखों श्रद्धालु मिर्जापुर जनपद स्थित मां विंध्यवासिनी धाम में दर्शन करने के लिए पहुंचे. भक्तों ने इस दौरान मां के दर्शन के साथ चरणों में शीश नवाकर नौ दिनों तक चले व्रत, अनुष्ठान का हवन कर पूर्णाहुति की. इस दौरान नवरात्रि के आखिरी दिन आदिवासी समाज के लोगों ने विशेष पूजा अर्चना की. ढोल, मजीरा के साथ अन्य वाद्ययंत्रों पर मां के मधुर गीत गाते हुए नृत्य करते आदिवासी समाज के भक्तों को देख मां विंध्यवासिनी धाम में मौजूद हर कोई आश्चर्यचकित रह गया.

बता दें, धार्मिक नगरी के नाम से विख्यात मिर्जापुर जिला अलग-अलग मान्यताओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. नवरात्रि के नवमी के दिन विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम में आदिवासी समाज का एक जत्था मां विंध्यवासिनी धाम में दर्शन के लिए पहुंचा. अपनी ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार एक जत्था दर्शन के लिए पहुंचा. इस दौरान ये भक्त हैरतअंगेज करतब भी लोगों को दिखा रहे थे. सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के भक्त मां विंध्यवासिनी धाम में नाचते-गाते, अपने शरीर पर लोहे के साकड़े से पीटते हुए मां के दरबार में पहुंचे. हाथों में कलश, घड़े से निकलती ज्वाला और पुरुष भक्तों के जीभ के आर-पार लोहे के छड़ ने सबको हैरान कर दिया.

30 मिनट तक आम श्रद्धालुओं के दर्शन पर रोक:
रामनवमी के अवसर पर विंध्याचल मंदिर में 101 भक्तों का जत्था एक साथ दर्शन के लिए पहुंच गया. मां को खुश करने के लिए सभी हैरतअंगेज करतब भी कर रहे थे. उनकी भीड़ को देखते हुए आम लोगों के दर्शन पर रोक लगा दिया गया. वहां पर तैनात पुलिसकर्मियों ने झांकी के रास्ते सभी को दर्शन कराया. मां की भक्ति के साथ अद्भुत तरीके से खुश करने की कला देखकर श्रद्धालु भी हैरान रह गए. 30 मिनट तक सभी ने दर्शन किया, जिसके बाद वापस चले गए.

विश्व के कल्याण के लिए किया प्रार्थना
मां के दरबार में आए भक्त चंद्रशेखर ने बताया कि मां को प्रसन्न करने के लिए कठिन तप करते है. ऐसी मान्यता है कि मां के इस तरह से पूजन करने से मां प्रसन्न होती है. नवरात्रि में हम सभी विशेष पूजन करते है. उन्होंने बताया कि विश्व के कल्याण के लिए मां भगवती से कामना की है. मां का आशीर्वाद सभी देशवासियों पर बना रहे, इसके लिए भी प्रार्थना किया है.

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