विजयादशमी पर्व पर बोले भागवत, 70 साल में पहली बार महसूस हुई आजादी

विजयदशमी के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत नागपुर में निकले मार्च में शामिल हुए। इस दौरान कार्यकर्ताओं को दशहरे की शुभकामना दी। वहीं भागवत ने बड़ा बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि देश में सत्तर साल बाद अब आजादी महसूस हो रही है।Bhagwadshmi speaking on Bhagwadashmi festival

सरसंघचालक मोहन भागवत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘ हम 70 साल से स्वतंत्र हैं, फिर भी पहली बार अहसास हो रहा है कि भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है। सारी दुनिया में हमारी साख बढ़ी है। भारत पहले भी था, हम सब भी थे, लेकिन भारत को गंभीरतापूर्वक देखना और भारत में दखल देने से पहले 10 बार विचार करना। यह बातें केवल आज सामने ही आई हैं।

उन्‍होंने कहा, ‘हमारी सुरक्षा के लिए सीमा पर जवान जान की बाजी लगाकर कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। उनको कैसी सुविधाएं मिल रही हैं। उनको साधन संपन्न बनाने के लिए हमें अपनी गति बढ़ानी पड़ेगी। शासन के अच्छे संकल्प तो हैं, मगर इसको लागू कराना और पारदर्शिता का ध्यान रखना जरूरी है।

वहीं भागवत ने बोला कि सीमाओं पर सुरक्षा को चुनौती देने वालों को हमने जवाब दिया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उन्हें जवाब मिला है। कश्मीर में देश विरोधी ताकतों की आर्थिक रूप से कमर टूट गई है। कश्मीर घाटी में शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं जैसी चाहिए वैसी नहीं पहुंच रही है।

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शासन-प्रशासन और समाज के समन्वयित प्रयास से राष्ट्र के शत्रुओं से लड़ाई जारी रखते हुए सामान्य जनता को भारत की अत्मीयता का अनुभव कराना चाहिए। इस काम में अगर कुछ पुराने प्रावधान आड़े आ रहे हैं तो उनको बदलना पड़ेगा।

इसके अलावा केरल और बंगाल को लेकर भी उन्होंने टिप्पणी की। भागवत ने कहा कि वहां जिहादी और राष्ट्र विरोधी ताकतें अपना खेल खेल रही हैं। शासन प्रशासन वहां का वैसा ध्यान नहीं देता है। वह भी उन्हीं का साथ देता है। राजनीति में वोटों की खुशामद करनी पड़ती है, लेकिन समाज मालिक है। उस समाज को जागरूक बनाना चाहिए।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि म्यांमार से रोहिंग्या क्यों आ गए? उनकी अलगाववादी, हिंसक गतिविधियां जिम्मेदार हैं। इन लोगों को अगर आश्रय दिया गया तो वे सुरक्षा के लिए चुनौती बनेंगे। इस देश से उनका नाता क्या है? मानवता तो ठीक है, लेकिन इसके अधीन होकर कोई खुद को समाप्त तो नहीं कर सकता।

उन्‍होंने कहा कि शासन के अच्छे संकल्प तो हैं लेकिन इसको लागू कराना और पारदर्शिता का ध्यान रखना जरूरी है। लोगों के लाभ के लिए अनेक योजनाएं चलीं। साहस करने में भी शासन कम नहीं है। लेकिन जो किया है उसका हो क्या रहा है, इसे समझना चाहिए। आर्थिक सुधार के लिए हम देश के लिए एक मानक सही नहीं हो सकता।

देश में हर हाथ को काम मिलना चाहिए। स्वरोजगार. लघु, मध्यम और कुटीर उद्योग से सबसे ज्यादा काम मिलता है। विश्व के आर्थिक भूचालों का असर भारत पर सबसे कम हुआ। ऐसा छोटे व्यापारों की वजह से हुआ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ लाल कृष्‍ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी पहुंचे। विजय दशमी के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की, जिसकी परंपरा काफी समय से चली आ रही है।

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