पाकिस्तान: हत्या के आरोपी ईसाइयों से वकील ने कहा, ‘इस्लाम अपना लो, तो बरी करवा दूंगा’

लाहौर आपने सुना होगा कि ज्यादातर मामलों में धर्म परिवर्तन कराने वाले को आर्थिक मदद दी जाती है, लेकिन पाकिस्तान में एक वकील ने इससे भी आगे जाकर हत्या के आरोपियों को इस्लाम कबूल करने पर सजा से बचाने का आश्वासन दे डाला।पाकिस्तान: हत्या के आरोपी ईसाइयों से वकील ने कहा, 'इस्लाम अपना लो, तो बरी करवा दूंगा'

हत्या के एक मामले में अभियोजन पक्ष के वकील ने कथित तौर पर 42 आरोपी ईसाइयों से कहा कि अगर वे ईसाई धर्म छोड़कर इस्लाम अपना लें, तो वह (वकील) उन्हें बरी कराने की गारंटी दे सकता है।

पाकिस्तानी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्राइब्यून’ में छपी एक खबर के मुताबिक, इन सभी 42 आरोपियों पर मार्च 2015 में हुए आत्मघाती हमलों के बाद दो लोगों की पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप है। ये धमाके लाहौर के युहानाबाद स्थित दो चर्चों में रविवार को होने वाली प्रार्थनसभा को निशाना बनाकर किए गए थे। युहानाबाद में ईसाई समुदाय की अच्छी-खासी संख्या है। यहां रहने वाले ईसाइयों का मानना था कि मारे गए दोनों व्यक्ति इन धमाकों की साजिश में शामिल थे।

इसमे वकील ने कौनसा गलत काम किया है ? 1400 सालो से इस्लाम इसी तरह तो फेला है ! ना अध्यात्मिक तौर पर, ना ईश्वर की प्राप्ति पर, इस्लाम फेला है तलवार और बलात्कार के जोर पर ! इतिहास मे देखो या वर्तमान मे यही सब तो चल रहा है !
यह मामला आंतकवाद निरोधी अदालत में चलाया जा रहा है। जोसफ फ्रांसी नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले में आरोपी बनाए गए लोगों को कानूनी सहायता उपलब्ध करा रहे हैं। जोसफ के मुताबिक, सहायक जिला जन अभियोजन वकील(DDPP) सैयद अनीस शाह ने आरोपियों के सामने यह प्रस्ताव रखा कि अगर वे इस्लाम कबूल कर लेते हैं, तो वह उन सभी को रिहा करवा देगा। फ्रांसी ने बताया, ‘वकील ने आरोपियों से कहा कि अगर वे सभी इस्लाम अपना लेते हैं, तो वह उन सबों को इस मामले से बरी करवाने की गारंटी लेता है।’

जानकारी के मुताबिक, फ्रांसी ने ‘द एक्सप्रेस ट्राइब्यून’ को बताया कि वकील की यह पेशकश सुनकर सभी आरोपी हैरान हैं। फ्रांसी ने अखबार को बताया, ‘आरोपियों में से एक शख्स ने तो यहां तक कह दिया कि वह धर्मपरिवर्तन करवाने की जगह फांसी पर चढ़ने के लिए तैयार है।’ कुछ अन्य आरोपियों की ओर से इस मामले की पैरवी कर रहे वकील नसीब अंजुम ने इस खबर पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि शाह का यह प्रस्ताव नया नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाया कि 6 महीने पहले भी उन्होंने आरोपियों के सामने यह विकल्प रखा था, जिसे आरोपियों की ओर से ठुकरा दिया गया। अंजुम ने कहा, ‘वकील तो अदालत की आजादी में यकीन रखते हैं, लेकिन DDPP इस तरह आरोपियों को ब्लैकमेल क्यों कर रहे हैं? सरकार को चाहिए कि वह इस तरह के (सैयद अनीस शाह) तत्वों पर कार्रवाई करे और उनसे छुटकारा पाए। ऐसे लोग सरकार की छवि खराब करते हैं और देश को बदनाम करते हैं।’

जब अखबार ने इन आरोपों के मद्देनजर शाह से संपर्क किया, तो पहले तो उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया। फिर जब उन्हें यह बताया गया कि यह प्रस्ताव देते हुए उनका एक विडियो बनाया गया था और उसके फुटेज में वह धर्मपरिवर्तन करवाने पर बरी करवाने का प्रस्ताव देते हुए दिख रहे हैं, तो शाह ने कहा कि हो सकता है उन्होंने आरोपियों को इस तरह का विकल्प दिया हो।

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