हरियाणा में एक बार फिर जाट आंदोलन शुरू होने से पहले सरकार हुई अलर्ट
चंडीगढ़। हरियाणा में जाट आंदोलन की फिर से सुगबुगाहट शुरू हाे गई है आैर इस पर राज्य सरकार अलर्ट हो गई है। फरवरी 2016 में हुए हिंसक जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज 407 केस वापस लेने की प्रक्रिया पर हाई कोर्ट की रोक और पुलिस वेबसाइट पर हिंसा की 78 तस्वीरें डाले जाने के बाद जाट संगठन फिर सक्रिय हो गए हैं।
जाट आरक्षण संघर्ष समिति के नेता जहां केस वापस लेने में पेंच को लेकर कमजोर पैरवी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं तस्वीरों को फर्जी बताया जा रहा है। गुपचुप आंदोलन की तैयारियों मेें जुटे जाट नेताओं को साधने के लिए सरकार ने पार्टी संगठन के जरिये अपना पक्ष रखना शुरू कर दिया है।
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रधान यशपाल मलिक ने 2 जून को रोहतक के जसिया में जाट महासम्मेलन बुलाया है। इसमें आंदोलन की अगली रणनीति तय होगी। जाट नेताओं के मुताबिक, सरकार ने जो भी वादे किए, वे पूरे नहीं किए गए। न तो समुदाय को आरक्षण का हक मिला और न ही युवाओं पर दर्ज केस वापस हुए। इसलिए अब जसिया में आगे के आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। मलिक ने कहा कि इस बार आंदोलन सभी मांगें पूरी होने तके जारी रहेगा।
उधर, प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने संगठन के जरिये सरकार द्वारा उठाए कदमों को जाट समुदाय के लोगों के सामने रखना शुरू कर दिया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा कि पूर्व की सरकारों द्वारा उलझाने के कारण जाट आरक्षण का मामला पेचीदा बना हुआ है।उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार एकमत से आरक्षण देने के पक्ष में है। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण सरकार के हाथ बंधे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सियासी फायदे के लिए जब-तब इस मुद्दे को उठा देते हैं, जबकि सरकार पूरी गंभीरता से इस दिशा में काम कर रही है।