5 बरस हुए निर्भया कांड को, जानें क्या-क्या हुआ इस बीच..

आज ही के दिन ठीक पांच बरस पहले घटा यह दर्दनाक हादसा दिल्ली के चेहरे पर एक बदनुमा दाग की तरह बन गया. उस रात एक चलती बस में पांच बालिग और एक नाबालिग दरिंदे ने 23 साल की निर्भया के साथ हैवानियत का जो खेल खेला, उसे जानकर हर देशवासी का कलेजा कांप उठा. वह युवती पैरामेडिकल की छात्रा थी. निर्भया फिल्म देखने के बाद अपने पुरुष मित्र के साथ बस में सवार होकर मुनिरका से द्वारका जा रही थी. बस में उन दोनों के अलावा सिर्फ 6 लोग थे, जिन्होंने निर्भया के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी. विरोध करने पर आरोपियों ने निर्भया के मित्र को इतना पीटा कि वह बेहोश हो गया.निर्भया कांड

चलती बस में इंसानियत हुई थी शर्मसार

निर्भया बस में अकेली और मजबूर थी. बस दिल्ली की सड़क पर तेजी से दौड़ रही थी. रात का अंधेरा घना होता जा रहा था. अब वे सारे दरिंदे निर्भया पर टूट पड़े. निर्भया उन दरिंदों से अकेली जूझती रही. उसने देर तक उन वहशी दरिंदों का सामना किया लेकिन वो हार चुकी थी. उन सबने निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया. यही नहीं उनमें से एक ने जंग लगी लोहे की रॉड निर्भया के प्राइवेट पार्ट में डाल दिया. इस हैवानियत की वजह से निर्भया की आंतें शरीर से बाहर निकल आईं. खून से लथपथ लड़की जिंदगी और मौत से जूझ रही थी. बाद में उन शैतानों ने निर्भया और उसके साथी को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया था.

आग तरह फैल गई थी घटना की ख़बर

आधी रात हो चुकी थी. किसी ने पुलिस को खबर दी कि बसंत विहार इलाके में एक युवक और युवती बेहोश पड़े हैं. सूचना मिलने के साथ ही पुलिस हरकत में आ गई. पीड़ित लड़की को नाजुक हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया. मामला तब तक मीडिया की सुर्खियों में आ गया. पूरे देश इस ख़बर को देख रहा था. लड़की के साथ हुई दरिंदगी को जानकर हर कोई गुस्से में था. आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर आवाज उठने लगी. घटना के विरोध में अगले ही दिन ही कई लोगों ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक और ट्विटर के जरिए अपना गुस्सा ज़ाहिर करना शुरु किया. लोग गुस्से में थे, मीडिया पल-पल की खबर दिखा रहा था.

पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया

घटना के दो दिन बाद दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि आरोपी बस ड्राइवर को सोमवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया और उसका नाम राम सिंह बताया गया. बाद में दिल्ली पुलिस के तत्कालीन आयुक्त नीरज कुमार ने मीडिया को संबोधित किया और जानकारी दी कि इस मामले में चार अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. उन्होंने बताया था कि जिस बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, उस पर ‘यादव’ लिखा हुआ था और ये बस दक्षिण दिल्ली में आरके पुरम सेक्टर-3 से बरामद कर ली गई है. हालांकि सुबूत मिटाने के लिए बस को धो दिया गया था.

बस ड्राइवर ने कबूला गुनाह

बस के ड्राइवर राम सिंह ने पुलिस के सामने पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. उसी की निशानदेही पर पुलिस ने उसके भाई मुकेश, एक जिम इंस्ट्रक्टर विनय गुप्ता और फल बेचने वाले पवन गुप्ता को गिरफ़्तार किया था. पुलिस सभी आरोपियों से लगातार पूछताछ कर रही थी. पूरे देश में घटना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे. लोग सड़कों पर उतर आए थे. हर तरफ सिर्फ यही मामला चर्चा का विषय बना हुआ था. और पूरे देश की निगाहें केवल दिल्ली पुलिस की जांच और कार्रवाई पर लगी हुई थी.

संसद में हुआ हंगामा

मंगलवार 18 दिसम्बर 2012 को ही इस मामले की गूंज संसद में सुनाई पड़ने लगी थी. जहां आक्रोशित सांसदों ने बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड की मांग की थी. तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने संसद को आश्वासन दिलाया था कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाए जाएंगे.

निर्भया ने सिंगापुर में ली आखिरी सांस

इस बीच पीड़ित लड़की की हालत नाज़ुक होती जा रही थी. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. सड़कों और सोशल मीडिया से उठी आवाज़ संसद के रास्ते सड़कों पर पहले से कहीं अधिक बुलंद होती नजर आ रही थी. दिल्ली के साथ-साथ देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे. दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा था कि उनमें इतनी हिम्मत नहीं कि वो पीड़ित लड़की को देखने जा सकें. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सफदरजंग अस्पताल जाकर पीड़ित लड़की का हालचाल जाना था. निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी. लिहाजा उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था.

एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में की आत्महत्या

मामला कोर्ट में चल रहा था. पुलिस ने मामले में 80 लोगों को गवाह बनाया था. सुनवाई हो रही थी. मगर इसी बीच 11 मार्च, 2013 को आरोपी बस चालक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली. हालांकि राम सिंह के परिवार वालों और उसके वकील का मानना है कि जेल में उसकी हत्या की गई थी.

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नाबालिग आरोपी को 2015 में मिली जमानत

इस जघन्य अपराध में शामिल नाबालिग दोषी को बाल सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद 20 दिसंबर 2015 को अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया. साथ ही उसे कड़ी सुरक्षा के बीच एक गैर सरकारी संगठन की देखरेख में रहने के लिए निर्देशित किया गया. निर्भया कांड के बाद कानून तक में बदलाव किया गया.

दिल्ली हाईकोर्ट ने बालिग दोषियों को सुनाई मौत की सजा

फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 10 सितंबर, 2013 को चारों बालिग आरोपियों को दोषी करार दिया और 13 सितंबर 2013 को उन्हें मौत की सजा सुनाई. आरोपियों ने फास्टट्रैक कोर्ट के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी. दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 जनवरी 2014 को फैसला सुरक्षित रखा और 13 मार्च 2014 को निचली अदालत द्वारा चारों बालिग आरोपियों को सुनाई गई मौत की सजा पर मुहर लगा दी.

सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनाई मौत की सजा

आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में मौत की सजा को चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च 2017 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को वह ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसका पूरे देश को इंतजार था. सुप्रीम कोर्ट ने भी चारों बालिग आरोपियों की मौत की सजा को कायम रखा.

एक आरोपी ने दायर की पुनर्विचार याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने चारों आरोपियों को मौत की सजा तो सुना दी, लेकिन दोषियों में से एक मुकेश कुमार ने 9 नवंबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की है. मुकेश ने मौत की सजा बरकरार रखने के निर्णय पर फिर से विचार का अनुरोध किया है.

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