सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में अपने तर्कों को साबित करने में नाकाम रही सीबीआई : कोर्ट
सोहराबुद्दीन मामले में 22 आरोपियों को बरी करने वाली सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में कहा कि मुख्य जांच अधिकारी आरोपियों के आर्थिक और राजनीतिक लाभार्थी होने के तर्क को साबित करने में नाकाम रहे। इस बात को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि सोहराबुद्दीन की हत्या के एवज में आरोपियों को राजनीतिक या आर्थिक लाभ मिला था।
फैसले में कहा गया है, ‘मेरे सामने पेश किए गए तमाम सबूतों और गवाहों के बयानों पर करीब से विचार करते हुए मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि सीबीआई जैसी एक शीर्ष जांच एजेंसी के पास एक पूर्व निर्धारित सिद्धांत और पटकथा थी, जिसका मकसद राजनीतिक नेताओं को फंसाना था। कोर्ट ने यह भी कहा कि गवाहों के शुरूआती बयानों में राजनीतिक षड्यंत्र की बात नहीं थी मगर फिर सालों बाद षड्यंत्र की बात आई गई।
सीबीआई ऐसे किसी भी षड्यंत्र के होने की बात को साबित करने में नाकाम रही। कोर्ट ने यह भी कहा कि गवाहों को प्रलोभन देने की बात भी नहीं साबित हो सकी। कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में आरोपियों को बरी करने के आलावा उनके पास कोई और चारा नहीं है। कोर्ट ने कहा कि गुजरात, राजस्थान और आंध्र प्रदेश के जूनियर लेवल पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी निभा रहे थे और चार्जशीट दाखिल करने से पहले धारा 197 के अंतर्गत इनसे पूछताछ करके बयान दर्ज होने चाहिए थे।