भारत बना आकर्षक निवेश स्थल, अमेरिकी कंपनियों के लिए बड़े मौके

कॉरपोरेट टैक्स की दरों में एतिहासिक कटौती की घोषणा सिर्फ मंदी से लड़ने का उपाय नहीं है। इस कटौती से पहली बार भारत ने चीन से कारोबार समेटने वाली अमेरिकी व अन्य कंपनियों के सामने खुद को एक बेहद आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर भी पेश किया है। इलेक्ट्रॉनिक्स व अन्य मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ी इन कंपनियों को लुभाने में जुटे वियतनाम, थाइलैंड, मलेशिया, फिलीपींस जैसे अन्य देशों के सामने भी भारत ने जोरदार चुनौती पेश कर दी है।

अब भारत में नई कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की नई दर इन देशों में लागू टैक्स से भी कम होगी। जानकारों की मानें तो पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका में कॉरपोरेट जगत के साथ दो अहम बैठकों में भी इस घोषणा का असर दिखेगा। कोटक महिंद्रा म्यूचुअल फंड के एमडी निलेश शाह का कहना है कि चीन से निवेश समेटने वाली कंपनियों को आकर्षित करने के लिए यह एक मास्टरस्ट्रोक है। वित्त मंत्री की घोषणा इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पीएम शनिवार से शुरू हो रही छह दिनों की अमेरिका यात्र में ह्यूस्टन और न्यूयॉर्क में पांच दर्जन दिग्गज कंपनियों के सीईओ व प्रमुखों से मिलेंगे।

इनमें से कई कंपनियां हैं जिनके चीन में प्लांट हैं। लेकिन वे बढ़ती श्रम लागत और ट्रेड वार से परेशान हो कर शिफ्ट होने की संभावना तलाश रही हैं। वित्त मंत्रलय की घोषणा के मुताबिक इस वर्ष पहली अक्टूबर के बाद भारत में मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाने वाली कंपनियों को अब महज 17.01 फीसद का टैक्स देना होगा। यह दर आसियान क्षेत्र में भारत को सबसे आकर्षक टैक्स दर वाले निवेश स्थल के तौर पर स्थापित कर सकता है। भारत में कॉरपोरेट टैक्स की प्रभावी दर अभी तक 35 फीसद के करीब थी।

इस तरह की खबरें लगातार हैं कि चीन की लेदर, टेक्सटाइल व छोटी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां थाइलैंड व वियतनाम को नया ठिकाना बना रही हैं। ऑटो पार्ट्स व बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के लिए भी चीन महंगा होता जा रहा है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013 तक दुनिया की 23 फीसद मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों ने चीन को ठिकाना बना रखा था लेकिन उसके बाद से वहां श्रम की लागत में 187 फीसद का इजाफा हो चुका है। कॉरपोरेट टैक्स की नई दर असल में भारत को दुनिया के सबसे आकर्षक निवेश स्थलों में शुमार कर सकती है। अभी अमेरिका में कॉरपोरेट टैक्स की दर 27, कनाडा में 26.5, ब्राजील में 34, चीन में 25, फ्रांस में 31 और जर्मनी में 30 फीसद है।

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